श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने संकेत दिया है कि वे अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश करेंगे. अपने संक्षिप्त भाषण में उन्होंने विधानसभा में उपस्थित लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व किया. अब्दुल्ला ने कहा, “हम जानते थे कि इस मुद्दे पर तैयारी चल रही थी, लेकिन उम्मीद थी कि वे स्पीकर के चुनाव और लेफ्टिनेंट गवर्नर के अभिभाषण के बाद इसे उठाएंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि यदि लोगों ने 5 अगस्त के फैसले को स्वीकार किया होता, तो परिणाम अलग होते. उन्होंने सदन में मौजूद 90 सदस्यों का जिक्र करते हुए कहा कि उनमें से अधिकांश ने जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष प्रावधानों को समाप्त करने का विरोध किया है. अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि सदन इस मुद्दे पर चर्चा करेगा और इसके उठाने का तरीका एक माननीय सदस्य द्वारा निर्धारित नहीं होगा. बता दें कि ईटीवी भारत ने खबर दी थी कि, सरकार सदन के पहले सत्र में इस प्रस्ताव को लाने की योजना बना रही है, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस का एक प्रमुख चुनावी वादा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और निर्दलीयों के समर्थन से विधानसभा में 55 विधायकों का आंकड़ा प्राप्त कर चुकी है, जिससे उसे प्रस्ताव पारित करने के लिए पर्याप्त बहुमत हासिल होता है. सत्र के पहले घंटे में पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पर्रा ने केंद्र सरकार के 5 अगस्त के फैसले पर चर्चा की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया, जिससे सदन में हलचल मच गई. इसके चलते सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. यह विधानसभा सत्र अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद का पहला सत्र है. पिछले साल जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद से यह मुद्दा राजनीतिक विमर्श का मुख्य केंद्र बना हुआ है.