बोकारो : जयराम महतो के चुनावी पायदान के पहले (प्रथम) भाग्य का फैसला 7 मई को गिरफ्तारी या फिर उम्मीदवारी रद्द के बीच हो जायेगा. अगर जयराम महतो निर्वाची पदाधिकारी के नोटिस पर निर्वाचन कार्यालय पहुंचते हैं तो उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है.

गिरिडीह लोक सभा निर्वाची पदाधिकारी ने एक नोटिस के द्वारा जयराम महतो को सूचित किया है कि ‘आपके द्वारा समर्पित निर्देशन पत्र में उल्लेखित प्रस्तावकों में से सभी का हस्ताक्षर संदेहास्पद प्रतीत हो रहा है जिसका सत्यापन अधोहस्ताक्षरी द्वारा किया जाना आवश्यक है. नाम निर्देशन पत्र में उल्लेखित सभी प्रस्तावकों एवं उनके सही पहचान पत्र के साथ अधोहस्ताक्षरी के समक्ष जांच के लिए 11:00 से 12:30 बजे तक कार्यालय में उपस्थित होना सुनिश्चित करें.’

खतियानी आंदोलन की उपज जयराम महतो की उम्मीदवारी ने पूरे झारखंड में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र को हॉट सीट बना दिया है. इंडी गठबंधन हो या एनडीए दोनों के माथे पर चिंता की लकीर खींच गयी है. बोकारो में नॉमिनेशन के समय जिस प्रकार से जयराम महतो की गिरफ्तारी को लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ. जयराम को डिटेंड करने की बात पर समर्थकों के विरोध के बाद बैकफुट पर आयी पुलिस ने हजारों की भीड़ को संबोधित करने की अनऑफिशियल इजाजत दे दी. इसके बाद जयराम महतो ने सभा को संबोधित करते हुए ना सिर्फ चुनावी भाषण दिया बल्कि सरकार को भी खुली चुनौती देते हुए इशारों ही इशारों में कहा कि  अगर संवैधानिक तौर पर जनता की आवाज उठाने से रोका गया तो झुमरा और पारसनाथ से जनता की आवाज को उठाने का काम करेंगे.

ज्ञात हो कि झारखंड में झुमरा पहाड़ और पारसनाथ नक्सलियों का हृदयस्थली रहा है, जहां आज भी पुलिस और नक्सलियों के बीच इनकाउंटर का खेल चलते रहता है. जयराम महतो की धमक ने दोनों बड़े गठबंधन दलों को बेचैन कर रखा है. वहीं चुनाव आयोग के तरफ से नोटिस दिए जाने के बाद जयराम की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है.

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