जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुए भयानक अग्निकांड में मृतकों की संख्या 14 तक पहुंच गई है, जबकि 30 से अधिक लोग घायल हैं. इनमें से 28 लोगों के शरीर का 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सा जल चुका है. कई घायलों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है.
DNA टेस्ट से होगी मृतकों की पहचान
भीषण दुर्घटना में मृतकों के शव इतने बुरी तरह जल गए हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में सरकार ने शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लेने का फैसला किया है. जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल की मोर्चरी से 6 शवों के डीएनए सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.
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बता दें कि 20 दिसंबर की सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर करीब 6 बजे एक एलपीजी टैंकर और ट्रक के बीच टक्कर के बाद जोरदार धमाका हुआ. इस धमाके से आग की लपटों ने हाईवे पर गुजर रहे लगभग 40 वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया. हादसे में झुलसी हुई स्लीपर बस का परमिट 16 महीने पहले 25 अगस्त 2023 को समाप्त हो चुका था. इसके बावजूद बस नियमित रूप से बुकिंग पर चल रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट, जांच के लिए कमेटी गठित
सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत से 20 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी है. इस पर मुख्य सचिव के निर्देश पर एक संयुक्त जांच दल का गठन किया गया है. कमेटी दुर्घटना के सभी पहलुओं, परिवहन विभाग की लापरवाही और सड़क निर्माण की खामियों की जांच करेगी.
मुआवजे का ऐलान
राजस्थान सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है. केंद्र सरकार ने भी मृतकों के लिए 2 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है.
हादसे में राजस्थान पुलिस की 28 वर्षीय महिला कॉन्स्टेबल अनीता मीणा की भी जान चली गई, जिनकी पहचान पैरों की बिछिया से हुई.
हादसे के समय ऑटो चालक शत्रुघ्न ने किसी तरह अपनी जान बचाई लेकिन उसका चेहरा बुरी तरह झुलस गया.
स्लीपर बस में मौजूद 34 यात्रियों में से 20 अस्पताल लाए गए, जबकि 14 यात्रियों का अब तक कोई पता नहीं चला है.