Joharlive Team
चतरा। झारखंड सरकार भले ही उच्च शिक्षा को बढ़ावा देते हुए गरीब बच्चों को शिक्षित करने और रोजगार से जोड़ने के लाख दावे कर ले। हालांकि, हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इसकी बानगी देखनी है तो चतरा जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित सिमरिया प्रखंड के इचाक कला गांव स्थित आईटीआई कॉलेज को देख सकते हैं।
- बिना पढ़ाई और क्लास के पास किए जाते हैं छात्र
जानकारी के मुताबिक, छात्रों का नामांकन तो किया जाता है, लेकिन पढ़ाई नहीं होती है। बिना ज्ञान पाए ही छात्रों के परीक्षा फार्म भी भरवाए जाते हैं। यानी बिना पढ़ाई और क्लास के ही छात्र पास कर दिए जाते हैं। चार साल बीत जाने के बावजूद इस संस्थान में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। छात्र औद्योगिक शिक्षा से दूर हैं। यहां हर साल 160 छात्रों का नामांकन का लक्ष्य है और इस संस्थान में छात्र जैसे- तैसे पढ़ाई कर सत्र पूरा कर रहे हैं। वहीं संस्थान के छात्र इलेक्ट्रिशियन, फिटर, डीजल, मैकेनिक और वेल्डर की प्रायोगिक प्रशिक्षण से काफी दूर हैं।
- संस्थान में 33 पद हैं खाली
बहरहाल यहां रखे प्रायोगिक सामग्री जंग खाकर दम तोड़ने लगे हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में 33 पद खाली पड़े हैं। जिनमें शिक्षक, गार्ड, क्लर्क और चपरासी आदि शामिल हैं। स्थानीय लोगों को भरोसा था कि आईटीआई कॉलेज खुलने से यहां के छात्र-छात्राओं को पढ़ने की सुविधा मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोगों का मानना है कि सरकार की शिक्षा योजना विफल हो रही है।
सूबे के श्रम और नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने भी निरीक्षण के दौरान कॉलेज में पढ़ाई नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने तंत्र की उपेक्षा का दंश झेल रहे छात्रों की कठिनाइयों को देख कहा कि जल्द ही अब आईटीआई कॉलेज में शिक्षकों की बहाली कर छात्रों की पढ़ाई शुरू कराई जाएगी।
तकरीबन 8 करोड़ की लागत से बने इस आईटीआई कॉलेज का विधिवत उद्घाटन 12 नवंबर 2016 को चतरा सांसद सुनील सिंह और पूर्व विधायक गणेश गंझू ने किया था। संस्थान खुलने से लोगों में उम्मीदों की किरण जगमगाई थी, किंतु छात्रों की मुराद पूरी नहीं होने से न सिर्फ शिक्षा पर सवाल उठ रहे हैं बल्कि छात्रों का भविष्य अधर में लटकने से लोगों में खासा आक्रोश है।