रांची: निर्भया फंड का उपयोग मुख्य रूप से महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाता है. इस फंड की रूपरेखा के अनुसार जो परियोजनाएं प्रस्तावित की जाती है, उनमें महिलाओं की सुरक्षा संरक्षण संबंधी परियोजना, मौजूद बुनियादी ढांचे का उच्चतम उपयोग, रियल टाइम पहल का प्रावधान, महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी, साक्ष्य के लिए घटनाओं को रिकॉर्डिंग सहित कई कार्य किए जाते हैं. निर्भया फंड के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 7212.85 करोड रुपए की राशि आवंटित की गई है. इन राशियों का उपयोग विभिन्न मंत्रालय और विभागों द्वारा जारी निर्भया फंड से उपयोग की गई कुल राशि 548 करोड़ रूपया है. इसके बावजूद झारखंड सरकार की ओर से कोई भी बड़ी परियोजना का प्रस्ताव महिलाओं के लिए नहीं भेजा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. ये बातें सांसद संजय सेठ ने कही.
लोकसभा में सवाल का मिला जवाब
उन्होंने बताया कि उपरोक्त आशय की जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में दी. लोकसभा में सांसद संजय सेठ ने झारखंड में निर्भया फंड के उपयोग से संबंधित सवाल किया था और पूछा था कि झारखंड सरकार के द्वारा इसके तहत कार्य और उपयोग के लिए कितने प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. सांसद ने अन्य भी कई सवाल इससे जुड़े हुए लोकसभा में रखे थे. उसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि निर्भया फंड के तहत झारखंड राज्य में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता 112 मानव व्यापार रोधी इकाइयों की स्थापना, महिला हेल्पलाइन 181, वन स्टॉप सेंटर सहित कई कार्य हो रहे हैं. इसके अलावा फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना भी की गई है. मूल रूप से यह फास्ट ट्रैक कोर्ट दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम के लंबित मुकदमों के निपटान के लिए किया गया है. वर्तमान समय में झारखंड में 22 ऐसे फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट कार्यरत हैं. झारखंड के सभी 24 जिलों में वन स्टॉप सेंटर कार्यशील हैं. इसके अलावा झारखंड राज्य में वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से 3435 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है. 181 महिला हेल्पलाइन के माध्यम से 41587 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है. झारखंड में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के माध्यम से बलात्कार और पोक्सो अधिनियम से जुड़े 5383 मामलों का भी निपटान किया गया है.
अंधेरों में रोशनी के लिए 2.33 करोड़
केंद्रीय मंत्री ने सांसद को यह भी बताया कि झारखंड सहित देश के कई राज्यों के लिए एलएफएसएएल, डीएनए विश्लेषण, साइबर फॉरेंसिक जैसी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 183 करोड रुपए की राशि आवंटित की गई है. इसके अतिरिक्त अमृत शहरों में अंधेरे स्थान पर रोशनी करने के लिए झारखंड को 2.33 करोड रुपए दिए गए हैं. यह बिल्कुल नई परियोजना है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि निर्भया फंड का उपयोग राज्यों के द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओं में विशेषताओं के आधार पर करने की स्वीकृति दी जाती है. राज्यों से प्रस्ताव के मामले में राज्य महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण विभाग, राज्य सरकार का गृह विभाग और संबंधित केंद्रीय मंत्रालय और विभागों का समर्थन होना आवश्यक है.
राज्य की पीड़ित महिलाओं का कल्याण
सवाल के जवाब के बाद सांसद संजय सेठ ने बताया कि भारत सरकार के द्वारा निर्भया फंड में इतनी बड़ी राशि आवंटित की जाती है, जिससे राज्य की पीड़ित महिलाओं का कल्याण किया जा सकता है. विभिन्न स्तर पर महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध और साइबर अपराध होते है. उसके रोकथाम के लिए भी इस राशि का उपयोग किया जाता है. निर्भया फंड के अधिक से अधिक उपयोग के लिए विभिन्न राज्यों के प्रस्ताव के आधार पर भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर राशि निर्गत की है. दुर्भाग्य है कि झारखंड सरकार ने इस मुद्दे पर किसी परियोजना का संचालन करने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दिया. केंद्रीय मंत्री के जवाब में देश के कई राज्यों और शहरों में निर्भया फंड के तहत महिलाओं बच्चियों की सुरक्षा से संबंधित कई कार्य और परियोजनाएं संचालित की गई हैं. झारखंड सरकार की उदासीनता के कारण झारखंड में ऐसी कोई बड़ी परियोजना नहीं आ पाई. राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.