रांची : झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत नियुक्त लोकपालों के लिए आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि लोकपाल का पद, पद न होकर एक संस्था है, जहां आपको नियमों एवं कानून के अनुसार शिकायतों का निराकरण करना है।

उन्होंने आज कहा कि लोकपाल की निष्पक्षता ही उसे संस्था का रूप देती है। सभी लोकपालों को अपने दायित्वों का निर्वहन करना है, जिसके लिए मनरेगा के हर पहलु को समझने के साथ ही लोकपाल की भूमिका की भी गहन जानकारी जरूरी है।

मनरेगा आयुक्त ने जानकारी दी कि ग्रामीण विकास संस्थान(सर्ड) में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में नवनियुक्त लोकपालों को मनरेगा के प्रावधानों एवं श्रमिक हितग्राही के अधिकार, लोकपाल के कार्य व दायित्व, मनरेगा के तहत शिकायत निवारण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया , सामाजिक अंकेक्षण, सूचना का अधिकार अधिनियम, लोकपाल कार्यालय में शिकायत पंजीयन एवं निवारण तथा सामाजिक न्याय व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला मनरेगा और लोकपाल निर्देशिका की बारीकियों को समझने में प्रतिभागियों के लिए काफी मददगार होगी।

राजेश्वरी बी ने सभी लोकपालों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि वे अपने उत्कृष्ट दायित्व निर्वहन से रोल मॉडल बनें। धैर्यपूर्वक एक जज की तरह समस्या या शिकायतों को सुनें, परखें और निर्णय लें। जरूरत समझने पर सजा का भी अनुमोदन करें। उन्होंने लोकपालों से ज्यादा से ज्यादा फील्ड विजिट करने को कहा।

ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव अरुण कुमार ंिसह ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि विभाग का लक्ष्य है कि योजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शी तरीके से संपन्न हो और लाभुकों तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे। मनरेगा से संबंधित जितनी भी शिकायतें प्राप्त हों, उनका त्वरित निष्पादन संबंधित जिले के लोकपाल करें। योजनाओं का स्थल निरीक्षण करने को कहा, ताकि कार्य में हमेशा पारदर्शिता बनी रहे।

इस मौके पर मास्टर ट्रेनर ठाकुर गौरी शंकर- व्याख्याता, मुकेश कुमार-व्याख्याता, उप निदेशक अनुपम भारती, अनिल यादव सहायक निदेशक एवं अन्य पदाधिकारीगण मौजूद थे।

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