रिपोर्ट: नीरज प्रियदर्शी 

पटना: भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने आख़िरकार कुश्ती खिलाड़ियों के दबाव में आकर भारतीय कुश्ती संघ की मान्यता रद्द करने और नव निर्वाचित संघ को सस्पेंड करने का फैसला किया है. दो दिन पहले 22 दिसंबर को ही हुए चुनाव में संजय सिंह को WFI का नया अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था. मालूम हो कि भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के साथ महिला एवं पुरुष खिलाड़ियों के साथ पिछले 11 महीनों से विवाद चल रहा था. भारत की एकमात्र ओलंपक पदक विजेता कुश्ती पहलवान साक्षी मलिक समेत कुछ महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया था जबकि ओलंपिक पदक विजेता एवं पद्मश्री से सम्मानित कुश्ती पहलवान बजरंग पुनिया समेत कुछ पहलवानों ने भाजपा सांसद तो खिलाफ पक्षपात एवं शोषण का आरोप लगाया था. उनकी बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग कर रहे थे. काफी सारे विरोध प्रदर्शनों और मीडिया में कई बार अपनी बात रखने के बावजूद भी जब सरकार की तरफ से बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और भाजपा सांसद ने उल्टा अपने रसूख और प्रभाव का इस्तेमाल करके नया चुनाव करवाकर अपने करीबी संजय सिंह को ही नया अध्यक्ष बनवा दिया, तब विरोध कर रहे कुश्ती खिलाड़ियों के सब्र का बांध टूट गया. नया अध्यक्ष बनते ही संजय सिंह ने अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोंडा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने को घोषणा भी कर दी.

इधर दूसरी तरफ सरकार की ओर कोई कार्रवाई नहीं होता देख और बृज भूषण शरण सिंह का प्रभाव लगातार बढ़ते ही जाने से कुश्ती खिलाड़ियों की नाराज़गी इस हद तक पहुंच गई कि साक्षी मलिक ने कुश्ती छोडने का ऐलान कर दिया और अपने जूते उतार दिए. वहीं बजरंग पुनिया ने भी अपने पद्मश्री पुरस्कार को लौटाने की घोषणा कर दी और उसे संसद के गेट के पास रखकर लौट गए. अब, जबकि खेल मंत्रालय ने नए कुश्ती संघ को ही निलंबित कर दिया है तो उसके सभी आदेश भी रद्द हो गए हैं. यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी है. हालांकि, मीडिया ने संजय सिंह से इस बाबत पूछा तो उनका जवाब है कि अभी उन्हें मंत्रालय की चिट्ठी नहीं मिली है, चिट्ठी पढ़ने के बाद ही जवाब दे पाएंगे. हालांकि, खेल मंत्रालय की ओर से अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर किन कारणों से नए कुश्ती संघ का निलंबन हुआ है. क्योंकि विरोध कर रहे खिलाड़ियों की नाराज़गी और उनकी मांग तो पिछले ग्यारह महीनों से चली आ रही है. यदि केवल बृज भूषण शरण‌ का विरोध कर रहे खिलाड़ियों की मांगों के आधार पर फैसला हुआ है तो उनकी असल मांग तो ये थी कि पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई हो और उन्हें गिरफ़्तार किया जाए. पर यहां, इस मामले में हुई कार्रवाई को देखकर लगता है कि भाजपा सरकार का केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अभी भी बृज भूषण शरण सिंह को बचाने के लिए एवं इस मामले को रफ़ा-दफ़ा करने के लिए नए कुश्ती संघ के निलंबन का स्वांग रचा गया गया है.

वैसे, एक से बात ये ज़रूर कहीं जा रही है कि बृज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह द्वारा अध्यक्ष बनते ही गोंडा में अंडर 15 और अंडर 16 कराने का आदेश ही उनके निलंबन का कारण बनी है. क्योंकि एक दिन पहले शनिवार की शाम को ही महिला कुश्ती पहलवान साक्षी मलिक ने ट्वीट करके डब्ल्यूएफआई के एक फ़ैसले पर आपत्ति दर्ज करायी थी. साक्षी ने शनिवार की शाम सोशल मीडिया साइट X पर लिखा था, “मैंने कुश्ती छोड़ दी है, पर कल रात से परेशान हूँ. वे जूनियर महिला पहलवान क्या करें जो मुझे फ़ोन करके बता रही हैं कि दीदी इस 28 तारीख़ से जूनियर नेशनल होने हैं और वो नए कुश्ती फेडरेशन ने नंदनीनगर, गोंडा में करवाने का फ़ैसला लिया है.”साक्षी ने सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि अपनी आपत्ति का कारण समझाते लिखा था, “गोंडा बृजभूषण का इलाक़ा है. अब आप सोचिए कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने वहां जाएंगी. क्या इस देश में नंदनी नगर के अलावा कहीं पर भी नेशनल करवाने की जगह नहीं है क्या? समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ.” लेकिन, एक बात ज़रूर है कि देर से ही सही और महज़ दिखावे के संदेश के लिए ही सही, खेल मंत्रालय द्वारा कुश्ती संघ के निलंबन का फ़ैसला स्वागत योग्य है. इससे संघ का और बृज भूषण शरण सिंह का विरोध कर रहे कुश्ती खिलाड़ियों के बीच ख़ुशी का मौक़ा बना है.

हालांकि, कुश्ती पहलवानों ने ज़रूर कहा है कि यह स्वागत योग्य कदम है मंत्रालय का, मगर इस मामले में हमें न्याय तभी मिल पाएगा जब भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी होगी, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी और कुश्ती संघ से उनके प्रभाव को ख़त्म किया जाएगा. भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन के फ़ैसले का स्वागत भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी किया है. कांग्रेस की ओर से ये बयान जारी किया गया है कि महिला खिलाड़ियों के सम्मान में केंद्र सरकार का ये फ़ैसला स्वागत योग्य तो ज़रूर है मगर आँखों में धूल झोंकने जैसा है. क्योंकि जिस व्यक्ति के खिलाफ महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण, भेदभाव और पक्षपात का आरोप लगाया था, वह तो अभी भी खुलेआम घूम रहा है, अपनी राजनीति कर रहा है, अपने हिसाब से कुश्ती संघ को चला रहा है और फिर भी भाजपा का सांसद बना हुआ है. कांग्रेस का यह भी कहना है कि अगर नरेंद्र मोदी की सरकार महिलाओं के सम्मान के लिए इतनी ही सजग है तो अब तक मुख्य आरोपी बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी तो छोड़िए पूछताछ भी नहीं हो सकी है.

आख़िर में सवाल ये उठता है कि क्या खेल मंत्रालय द्वारा कुश्ती संघ के निलंबन का यह फ़ैसला वाक़ई उम्मीद जगाता है कि सरकार ने अब बृज भूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की दिशा में आगे बढ़ेगी और महिला पहलवानों के आरोपों की निष्पक्ष जाँच हो पाएगी? ऑतो इसका जवाब आपको बृज भूषण शरण सिंह के प्रोफ़ाइल पता करने से मिल जाएगा. बृज भूषण शरण सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले हैं. युवा जीवन अयोध्या के अखाड़ों में गुजरा है. 1988 में बीजेपी से जुड़े. 19911 में पहली बार बीजेपी से सांसद बने. तब से छह बार लोकसभा के लिए चुने गए. 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष. अब बेटे प्रतीक को भी गोंडा से बीजेपी विधायक बनवा दिया है. बृज भूषण शरण सिंह के प्रोफ़ाइल से आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि आख़िर बीजेपी की सरकार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से बचती क्यों नज़र आ रही है! चूँकि, बृज भूषण शरण सिंह का मामला जब संसद में उठा था तब केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने यह बयान दिया था और विरोध कर रहे पहलवानों को आश्वासन दिया था कि बृज भूषण शरण सिंह और उनके क़रीबियों को संघ से बाहर कर दिया जाएगा. लेकिम, आलम यह है कि अमित शाह के आश्वासन के महीनों गुजर जाने के बाद भी बृज मोहन सिंह के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे उस व्यक्ति को संघ का चेयरमैन बना दिया गया. सिंह का न सिर्फ़ राजनीति में उनका सहयोगी है, बल्कि बिज़नेस पार्टनर भी है. बावजूद इन सब बातों के यदि इस बार केंद्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने मन बना ही लिया है कि कुश्ती संघ के विवादों का निपटारा कर देना है तो इसके लिए उसे सबसे पहले निपटारा करना होगा अपने दुलरुआ सांसद बृज भूषण शरण सिंह का. पर क्या बीजेपी और नरेंद्र मोदी ऐसा कर पाएंगे?

बहुत जल्द यह भी पता लग जाएगा. तब तक बने रहिए हमारे‌ साथ,अभी‌ के लिए लेते हैं विदा.

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