JoharLive Desk
नयी दिल्ली : देश के 76 प्रतिशत से अधिक घरों में आयोडीन युक्त नामक का पर्याप्त मात्रा में सेवन किया जाता है।
न्यूट्रिशन इंटरनेशनल ने अखिल भारतीय आयुर्विग्यान संस्थान(एम्स), एसोसिएशन फार इंडियन कोएलिशन फार द कंट्रोल आफ आयोडीन डिफशिएंसी डिसआर्डर और काटार के सहयोग से आयोडीन युक्त नामक के इस्तेमाल पर एक व्यापक सर्वेक्षण किया था । सर्वेक्षण 2018.218 की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 76.3 घरों में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग किया जाता है ।
रिपोर्ट के अनुसार इस उत्साहवर्धक परिणाम को देखते हुए 90 प्रतिशत आबादी तक आयोडीन नमक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। आयोडीन नमक के सेवन में बढ़ोतरी से आयोडीन की कमी की वजह से होने वाले गंभीर रोगों से बचाने में मदद मिली है और इस प्रयासों को और बढ़ाने पर सर्वेक्षण में बल दिया गया है। रिपोर्ट नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य और पोषण) डा. विनोद पाल ने जारी की ।
मानव के लिए आयोडीन मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक है। आयोडीन की कमी की वजह से विकलांगता के अलावा गंडमाला, हाइपोथायरायडिज्म, क्रेटिनिज्म,गर्भपात, नवजात शिशु मानसिक मंदता और साइकोमोटर जैसे विकारों का खतरा अधिक रहता है । सर्वेक्षण के अनुसार आयोडीन की कमी वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में आयोडीन पर्याप्त क्षेत्रों में जन्म लेने वालों की तुलना में 13.5 आईक्यू अंक तक कम होने की आशंका बनी रहती है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश विकास नहीं दिखने वाले और अपरिवर्तनीय होते हैं,किंतु इन्हें रोका जा सकता है । इस समया को दूर करने के लिए भोजन में आयोडीन नमक का इस्तेमाल सबसे आसान और प्रभावी उपाय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अनुसार आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को रोकने के लिए 150 यूजी दैनिक आयोडीन सेवन की जरुरत होती है । यह जरुरत घर में इस्तेमाल किए जाने वाले उस नमक से पाई जा सकती है यदि उसमें न्यूनतम आयोडीन 15 पीपीएम हो ।
कनाडा सरकार के ग्लोबल अफेयर्स की सहयोग से यह सर्वेक्षण देश के सभी 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के 21 हजार 406 घरों में किया गया । सर्वेक्षण के अनुसार 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 13 में यूनीवर्सल साल्ट आयोडाइजेशन(यूएसआई) को हासिल कर लिया गया । इन राज्यों में 90 प्रतिशत से अधिक घरों में आयोडीन नमक का पर्याप्त मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है ।