नई दिल्ली : दुनियाभर के निवेशकों की भारत और चीन पर करीबी नजर है. भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था है. दूसरी ओर चीन की इकॉनमी कई तरह की मुश्किलों से जूझ रही है. साथ ही पश्चिमी देशों के साथ उसकी खाई बढ़ती जा रही है. सिंगापुर के एमएंडजी इन्वेस्टमेंट्स में एशियन इक्विटीज पोर्टफोलियो मैनेजर विकास प्रसाद ने कहा कि कई कारणों से लोगों की भारत में दिलचस्पी है. इसका एक कारण यह भी है कि भारत चीन नहीं है. भारत के अगले कई साल तक तेजी से ग्रोथ करने की उम्मीद है. पिछले दो दशक में भारत की जीडीपी 500 अरब डॉलर से 3.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुकी है. अगले कई साल तक भारत की इकॉनमी से सालाना सात फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है.
जनवरी में भारत कुछ समय के लिए हॉन्ग कॉन्ग को पछाड़कर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट बन गया था. कुछ निवेशकों को कहना है कि भारत लगातार बढ़ता जाएगा. Morgan Stanley की मानें तो 2030 तक भारत दुनिया का तीसरा बड़ा स्टॉक मार्केट बन गया. MSCI Inc. डेवलपिंग मार्केट इक्विटीज बेंचमार्क में भारत का वेट 18% पहुंच गया है जबकि चीन का कम होकर 24.8% रह गया है.
जापान के रिटेल इन्वेस्टर्स भी भारत पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं. भारत पर फोकस्ड पांच म्यूचुअल फंड्स इनफ्लो के मामले में टॉप 20 में शामिल हैं. नोमूरा इंडियन स्टॉक फंड में एसेट्स चार साल के टॉप पर है. Marshall Wace जैसे हेड फंड्स का कहना है कि भारत की मजबूत ग्रोथ और राजनीतिक स्थिरता के कारण निवेशक भारत का रुख कर रहे हैं. अमेरिका और दूसरे कई देशों की कई कंपनियां भी भारत का रुख कर रही हैं. उदाहरण के लिए आईफोन के कुल ग्लोबल आउटपुट में भारत की हिस्सेदारी सात परसेंट है. हालांकि एफआईएम पार्टनर्स लिमिटेड में मैक्रो स्ट्रैटजी के हेड चार्ल्स रॉबर्टसन ने कहा कि भारत को अभी लंबा रास्ता तय करना है.
भारत में निवेश की हिमायत करने वालों का कहना है कि यहां अभी ग्रोथ की अपार संभावनाएं हैं. देश की पर कैपिटा इनकम अभी काफी कम है और भारत ने कई साल के विस्तार की बुनियाद रख दी है. रुपये को ग्लोबलाइज करने के प्रयास किए जा रहे हैं. मोदी सरकार ने फाइनेंशियल इनक्लूजन के लिए कई कदम उठाए हैं. करोड़ों लोगों का जनधन खाता खोला गया है और क्रेडिट तक उनकी पहुंच सुनिश्चित हुई है. इससे दुनियाभर के निवेशकों की भारत में दिलचस्पी बढ़ी है. सरकार देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए काफी पैसा खर्च कर रही है.