रांची : पलामू के उपायुक्त शशि रंजन के द्वारा रिश्ते में अपनी सास के नाम आवंटित पत्थर खदान की लीज की जांच शुरू हो गई है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की प्रति को संलग्न करते हुए कार्मिक विभाग ने खान विभाग को इसकी प्रति भेजी है और इस मामले की जांच कर संपष्ट करने को कहा है। माना जा रहा है कि इस जांच के शुरू होने के बाद पलामू उपायुक्त भी अपनी सास के नाम आवंटित खनन लीज को सरेंडर करवा सकते हैं। इसके पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने नाम आवंटित खनन पट्टा को सरेंडर कर चुके हैं और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के नाम उद्योग विभाग द्वारा आवंटित भूखंड को भी सरेंडर किया गया है।
जानकारी के अनुसार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने सबसे पहले इस संदर्भ में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि कैसे पलामू के उपायुक्त ने अपने रिश्तेदारों को खनन पट्टा बांटा है। मामले के प्रकाश में आने के बाद खान विभाग से आधिकारिक तौर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है, लेकिन अब कार्मिक विभाग ने खान विभाग से इस स्थिति को स्पष्ट करने को कहा है। पूछा गया है कि इस मामले में सच्चाई क्या है और इसकी जांच रिपोर्ट तलब की गई है। पूरे प्रकरण की एक प्रति पलामू उपायुक्त को भी भेजी गई है।
अपनी सास के नाम से पत्थर खदान लीज को लेकर पलामू के डीसी शशी रंजन फंस गए लगते हैं। लीज आवंटन मामले में जांच शुरू होने से झारखंड सरकार की किरकिरी हो रही है। इसे हथियार बनाकर भाजपा हेमंत सरकार पर हमलावर है।
पलामू के छतरपुर अनुमंडल के शाहपुर में मेसर्स विंध्यवासिनी स्टोन फार्म के नाम पत्थर खदान का पट्टा जारी हुआ है। इस पट्टे के आधार पर शाहपुर में खनन भी चल रहा है। इस फर्म में पलामू के डीसी शशि रंजन की सास अंजना चौरसिया साझेदार हैं। झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने मामले का खुलासा करते हुए कार्रवाई की मांग की थी। सूत्रों ने बताया कि डीसी की सास के पार्टनर रणधीर पाठक कानूनी सलाह ले रहे हैं। इसके बाद लीज ट्रांसफर या सरेंडर के बाबत निर्णय लेंगे।