नई दिल्ली : दुनिया भर के देशों में हर साल समुद्री सुनामी और भूकंप के चलते सैकड़ों लोगों की जानें जाती हैं, जबकि लाखों लोग प्रभावित होते हैं. इन आपदाओं के बारे में पहले से पता हो तो समय रहते तबाही से बचा जा सकता है. भारतीय वैज्ञानिकों के प्रयासों से ये अब संभव होगा. समुद्र में कई किलोमीटर नीचे होने वाली हरेक हलचल अब मिनटों में पता चल जाएगी. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इनक्वॉइस) ने देश की पहली सिनर्जिस्टिक ओशन ऑब्जर्वेशन प्रिडिक्शन सर्विस (सिनोप्स) लैब बनाई है. केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री किरण रिजिजू हाल ही में इस लैब का उद्घाटन किया.
यह महासागरों में संभावित भूकंप व सुनामी के संकेत एक घंटे पहले दे देगा. तूफान, चक्रवात आने की सूचना तीन-चार दिन पहले मिल जाएगी. बड़ी बात है कि सिनोप्स हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र के साथ ही दुनियाभर में इन सूचनाओं के लिए मौजूद प्रणालियों में सबसे उन्नत है. ये सिस्टम मछुआरों को यह भी बताएगा कि किस दिशा में सबसे ज्यादा मछलियां हो सकती हैं. इस लैब से मालदीव, श्रीलंका जैसे देशों को भी मदद मिलेगी.
इनक्वॉइस के डायरेक्टर डॉ. श्रीनिवास कुमार तुम्मला कहते हैं कि सिनोप्स से जो जानकारी मिलेगी, वो आपदा प्रबंधन टीम को देंगे, ताकि सही समय पर बचाव शुरू किया जा सके. अभी सुनामी, तूफान, भूकंप आदि गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हम अंतराष्ट्रीय संस्थाओं से मदद लेते हैं. यह लैब पूरी तरह एडवांस्ड सेंसर्स पर निर्भर है. समुद्र के भीतर किसी भी खास हलचल को सेकंड से कम समय में भांप लेंगे और सटीक अनुमान लैब तक भेजेंगे. इसकी रीडिंग के बाद चेतावनी जारी होगी.
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