कज़ान (रूस): पीएम मोदी इस वक्त रूस के दौरे पर हैं। बता दें 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पीएम मोदी की द्वीपक्षीय बैठक आज हो रही। इस बैइक के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, अंतर सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली है। हमारी परियोजनाएं लगातार विकसित हो रही हैं। आपने कज़ान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है। हम इसका स्वागत करते हैं। भारत की नीतियों से हमारे सहयोग को फायदा होगा। हमें आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुशी हुई। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर हम लगातार संपर्क रहे हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। हम शांति और स्थिरता की जल्द से जल्द बहाली का पूरा समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयास मानवता को प्राथमिकता देते हैं। भारत आने वाले समय में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।
पिछले 1 वर्ष में BRICS की सफल आवश्यकता के लिए मैं आपको बधाई देता हूं। 15 वर्षों में BRICS ने अपनी विशेष पहचान बनाई है और अब विश्व के सफल देश इससे जुड़ना चाहते हैं। कल मैं BRICS सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए उत्सुक हूं। वहीं उन्होंने भारत रूस के आपसी रिश्तों को लेकर कहा कि पिछले 3 महीनों में मेरा दो बार रूस आना हमारे करीबी समन्वय और गहरी मित्रता को दर्शाता है। मैं आपकी मित्रता और गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। इस शहर के साथ भारत के गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। कजान में भारत के नए कांसुलेट खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने कज़ान पहुंचे है और आज रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर द्विपक्षीय बैठक की। बता दें दुनिया की नजर भारत रूस पर है। बात करे जियो पालिटिक्स की तो अमेरिका और नाटो देश की इस प्रकार भारत रूस वार्ता से भौंहें तेढ़ी है। इसका कारण भारत रूस के बीच बढ़ती व्यापार संधी है। अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाकर उसे आर्थिक चोट पंहुचाना चाह रहा वहीं भारत वैश्विक तौर पर अपने व्यापारिक संबंध न सिर्फ रूस बल्कि नाटों देशों से भी मजबूत कर रहा। जुलाई के भारत का महिने में रूस से तेल आयात कर यूरोप के देशों तक निर्यात करना अमेरिका की नजर में भारत को एक उभरता हुआ खतरा मानने पर मजबूर कर रहा। वहीं हाल के दिनों में कनाडा से हुई बकझक अमेरिका की रणनीति का ही हिस्सा रही है। बहरहाल रूस भारत का पुराना मित्र है और भारत ने भी अपनी मित्रता निभाते हुए रूस के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर है।
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