JoharliveDesk

नई दिल्ली। भारत और चीन की सेनाओं के बीच इस समय वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध जारी है। इसी बीच सेना पाकिस्तान की किसी भी नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पश्चिमी मोर्चे पर सतर्क है ताकि दोतरफा संघर्ष को रोका जा सके। यह जानकारी अधिकारियों और चीन पर नजर रखने वाले लोगों ने बुधवार को दी।

पिछले एक दशक में रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्टों में बताया गया है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर खतरा पैदा कर सकते हैं। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने 2014 में समिति को बताया कि यदि चीन भारत के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू करता है तो पाकिस्तान की तरफ से शत्रुता बढ़ने की संभावना है।
अधिकारी ने हालांकि कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है तो चीन भारत के लिए किसी भी तरह का खतरा पैदा नहीं करेगा। इस क्षेत्र में हाल की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने वाले अधिकारियों ने भारत के दो मोर्चों पर युद्ध में शामिल होने की संभावना को बढ़ा दिया है। लेकिन उनका कहना है कि सशस्त्र बल किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए तैयार हैं।

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘दोतरफा युद्ध की कोई संभावना नहीं है। लेकिन हमें चीन और पाकिस्तान के संयुक्त खतरे से निपटने के लिए सैन्य रूप से तैयार रहना होगा।’ भारतीय सेना ने चीन और पाकिस्तान के खतरे का वर्णन ‘कंटीनजेंसी-3’ के रूप में किया है। अन्य अधिकारी ने कहा कि कंटीनजेंसी-1 और 2 का मतलब दोनों देशों के अलग-अलग खतरे से है।

उत्तरी सेना के एक पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेनानिवृत्त) ने कहा, ‘तीन परमाणु हथियार संपन्न देश एक ही समय में युद्ध में नहीं जा सकते हैं। लेकिन चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे सैन्य संबंध हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि दोतरफा खतरे की संभावना कितनी दूर है, भारतीय सशस्त्र बलों को किसी भी घटना के लिए तैयार रहना चाहिए।’

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