रांची : एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक कोष (जीएफएटीएम) की दूसरी क्षेत्रीय बैठक हुई. जिसकी अध्यक्षता एसीएस अरूण कुमार सिंह ने की. होटल कैपिटल हिल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव ने कहा कि हम अपने क्षेत्रों से मलेरिया को खत्म करने के सामान्य उद्देश्य की दिशा में नौ राज्यों द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा और निगरानी करने के लिए एकत्र हुए हैं. अब तक की गई प्रगति पर सामूहिक रूप से विचार करने, एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने और मलेरिया मुक्त भविष्य के लिए आगे बढ़ने का रास्ता तैयार करने का अवसर है.
हमारी चर्चा, बहस और विचारों का आदान-प्रदान एक प्रभावी रोडमैप का आधार बनेगा जो हमारे राज्यों को मलेरिया मुक्त वातावरण की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है. उन्होंने कहा कि माइक्रो प्लान के साथ काम करने पर हम वर्ष 2027 तक जीरो केस और 2030 तक मलेरिया मुक्त भारत बना सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हमें विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञों, हितधारकों और प्रतिनिधियों की उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. हमें इस मंच का उपयोग नए सहयोग बनाने और अपनी कार्यान्वयन रणनीतियों को मजबूत करने के लिए करना चाहिए. झारखंड में मलेरिया उन्मूलन पर किए गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मलेरिया के सटीक बोझ के आकलन के लिए राज्य में एचएससीवार मामले का स्तरीकरण और मानचित्रण किया गया है. राज्य में 3958 एचएससी में से, 63 एचएससी 5 से अधिक वार्षिक परजीवी घटना (एपीआई) की रिपोर्ट कर रहे हैं और 86 एचएससी 10 से अधिक एपीआई की रिपोर्ट कर रहे हैं.
लगभग 4 प्रतिशत एचएससी उच्च प्राथमिकता के अंतर्गत आते हैं और हम उन क्षेत्रों में केंद्रित हस्तक्षेप कर रहे हैं. शीघ्र निदान और पूर्ण उपचार सुनिश्चित करने के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में त्रैमासिक सामूहिक बुखार सर्वेक्षण किए जा रहे हैं. मानसून के दौरान और मानसून के बाद के मौसम में शहरी क्षेत्र में मलेरिया को पकड़ने के लिए डेंगू की एंटोमोलॉजिकल निगरानी के साथ-साथ घर-घर जाकर निगरानी की जा रही है. कार्यक्रम गतिविधियों की समीक्षा के लिए टास्क फोर्स की बैठक राज्य मुख्यालय पर त्रैमासिक आधार पर और जिले में मासिक आधार पर आयोजित की जाती हैं.
केंद्रीय संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग डॉ राजीव मांझी ने कहा कि मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश को मलेरिया उन्मूलन की दिशा में ज्यादा काम करने की जरूरत है. उन्होंने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी में भी मलेरिया प्रसार की दिशा में सही रणनीति के साथ काम करने की दिशा में बल दिया.
एनवीबीडीसीपी की केंद्रीय निदेशक तनु जैन ने कहा कि यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है जब देश में कई राज्य मलेरिया की विभिषिका से जूझ रहे हैं. यह समय बेहतर काम करने वाले राज्यों में किए जा रहे नवाचार को साझा करने का अवसर है.
निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि मलेरिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. इसका निदान सही समय पर नहीं होने से मृत्यु भी हो जाती है.
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने की. मौके पर राष्ट्रीय वैक्टर बोन डीजीज कार्यक्रम के राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह, एनवीबीडीसीपी की केंद्रीय संयुक्त निदेशक डॉ रिंकू शर्मा, राष्ट्रीय सलाहकार डॉ सीएस अग्रवाल, डेवलपमेंट पार्टनर्स, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, परामर्शी और उनकी टीम
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