सिंगापुर: भारत और सिंगापुर ने गुरुवार को अपनी रणनीतिक साझीदारी को समग्र रणनीतिक साझीदारी का रूप देने के साथ चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये जिनसे दोनों देशों के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझीदारी, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, शैक्षिक सहयोग और कौशल विकास के क्षेत्र शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के बीच द्विपक्षीय बैठक में इन समझौतों पर हस्ताक्षर और आदान प्रदान किया गया. इससे पहले श्री लॉरेंस वोंग की मौजूदगी में सिंगापुर की संसद में प्रधानमंत्री मोदी का औपचारिक स्वागत किया गया, जिसके बाद दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक की. बैठक में दोनाें देशों के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझीदारी, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, शैक्षिक सहयोग और कौशल विकास के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने वाले चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये.
बैठक के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि सिंगापुर केवल एक साझीदार देश नहीं है. सिंगापुर, हर विकासशील देश के लिए एक प्रेरणा है. हम भी भारत में अनेकों सिंगापुर बनाना चाहते हैं. यह खुशी की बात है कि हम इस दिशा में मिलकर प्रयास कर रहे हैं. हमारे बीच जो मंत्रिस्तरीय राउंडटेबल बनी है, वो एक अनूठी प्रणाली है. कौशल विकास, डिजिटलाईजेशन, मोबिलिटी, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग जैसे, सेमीकंडक्टर और आर्टफीशियल इंटेलीजेंस, स्वास्थ्य, सातत्य, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग की दिशा में पहलों की पहचान की गई है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “सिंगापुर हमारी एक्ट ईस्ट नीति का अहम सूत्रधार भी है. लोकतांत्रिक मूल्यों में साझा विश्वास हमें एक दूसरे से जोड़ता है. मुझे ख़ुशी है कि मेरे तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे सिंगापुर आने का अवसर मिला है. हमारी रणनीतिक साझीदारी का एक दशक पूरा हो रहा है. पिछले दस वर्षों में हमारा व्यापार लगभग दोगुना से भी अधिक हो गया है. आपसी निवेश लगभग तीन गुना बढ़ कर 150 अरब डॉलर पार कर गया है. सिंगापुर पहला देश था जिसके साथ हमने यूपीआई की व्यक्तियों के बीच भुगतान प्रणाली का शुभारंभ किया था. पिछले दस वर्षों में सिंगापुर के 17 सेटेलाइट, भारत से प्रक्षेपित किये गये हैं. कौशल विकास से लेकर रक्षा क्षेत्र तक हमारे सहयोग में गति आई है. सिंगापुर एयरलाइन्स और एयर इंडिया के बीच हुए समझौते से कनेक्टिविटी को बल मिला है. मुझे ख़ुशी है कि आज हम मिलकर, अपने संबंधों को समग्र रणनीतिक साझीदारी का रूप दे रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने कहा कि सिंगापुर में रहने वाले 3.5 लाख भारतीय मूल के लोग हमारे संबंधों की मजबूत नींव हैं. सुभाष चन्द्र बोस, आजाद हिन्द फौज और लिटिल इंडिया को सिंगापुर में जो स्थान और सम्मान मिला है उसके लिए हम पूरे सिंगापुर के सदा आभारी हैं. 2025 में हमारे संबंधों के 60 साल पूरे होने जा रहे हैं. इसको धूमधाम से मनाने के लिए दोनों देशों में एक कार्ययोजना बनाने के लिए काम किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि भारत का पहला थिरुवलुवर सांस्कृतिक केंद्र जल्द ही सिंगापुर में खोला जायेगा. महान संत थिरुवलुवर ने सबसे प्राचीन भाषा तमिल में, दुनिया को रास्ता दिखाने वाले विचार दिए हैं. उनकी रचना तिरुक्कुरल लगभग 2 हजार साल पहले की है, लेकिन इसमें जो विचार दिए गए हैं, वो आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने कहा है, नयनोडु नऩ्ऱि पुरिन्द पयऩुडैयार् पण्बु पाराट्टुम् उलगु. अर्थात्, दुनिया में उन लोगों की प्रशंसा होती है, जो न्याय और दूसरों की सेवा करने के लिए जाने जाते हैं. मुझे विश्वास है कि सिंगापुर में रहने वाले लाखों भारतीय भी इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर, दोनों देशों के संबंध को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं.” श्री मोदी ने कहा, “मैंने भारत का हिन्द प्रशांत विज़न, सिंगापुर में, शाँगरीला डायलॉग से ही प्रस्तुत किया था. हम सिंगापुर के साथ मिलकर क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए काम करते रहेंगे.”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “द्विपक्षीय संबंधों को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाना.” एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “सिंगापुर के संसद भवन में द्विपक्षीय बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वॉन्ग द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया.” श्री मोदी ब्रुनेई दारुस्सलाम की यात्रा पूरी करके सिंगापुर पहुंचे थे. कल रात श्री वॉन्ग ने श्री मोदी के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया था.