Joharlive Desk

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख से भारत और चीन की सेनाएं गतिरोध खत्म करने और पीछे हटने को तैयार हो गई हैं। इसके बावजूद चीन के तेवर को देखते हुए भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर खूंटा गाड़ने की तैयारी कर ली है। सर्दियां आने वाली हैं और उस समय दोनों ही देशों के लिए एलएसी पर सैनिकों की तैनाती करना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन भारत ने कमर कस ली है ताकि अगले साल चीन अप्रैल 2020 जैसी हरकत न दोहरा सके। इसके लिए लद्दाख में तैनात जवानों को सियाचिन में तैनात जवानों की तरह अत्याधुनिक उपकरण दिए जाएंगे।

लद्दाख में भारत ने चीन के बराबर जवानों की तैनाती और जरूरी ढांचा खड़ा किया हुआ है। दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत के बाद चीनी सेना पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 (गलवां), 15-16 (हॉट स्प्रिंग्स), पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए (गोगरा) से हटी है लेकिन वह पैगोंग त्सो से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
ऐसे में सैन्य कमांडरों ने तय किया है कि एलएसी पर खास इलाकों में जवान तैनात किए जाएंगे ताकि अगले साल चीन की घुसपैठ को रोका जा सके। इस साल चीनी सेना ने सर्दियों के बाद घुसपैठ करने की कोशिश की थी।

कपड़ों की जरूरत पूरी करने के लिए घरेलू निर्माताओं को दिए ऑर्डर
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लद्दाख में एलएसी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15, 16 और 17 पर ज्यादा बर्फ नहीं गिरती है लेकिन चांग ला (पास) 17,000 फीट की ऊंचाई पर है। यह पास पैंगोंग त्सो के डिफेंस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और सर्दियों में यह बर्फ से पूरी तरह ढक जाता है।

एक सैन्य कमांडर ने कहा, ‘सर्दियों में कपड़ों की जरूरत को पूरा करने के लिए हमने न केवल घरेलू निर्माताओं को ऑर्डर दिए हैं बल्कि सालटोरो रिज और सियाचिन ग्लेशियर के अलावा बाकी जगह तैनात जवानों से एक्स्ट्रीम स्नो क्लोदिंग देने को कहा है। जैसे परतापुर और थोसे में तैनात जवानों को भी सियाचिन जैसे कपड़े दिए जाते हैं लेकिन इन दो बेस की ऊंचाई लेह जितनी नहीं है। ऐसे में सबसे खराब स्थिति में यहां तैनात जवानों को अपने साथी जवानों को जैकेट्स, ट्राउजर्स, ग्लव्स, बूट्स और गॉगल्स देने के लिए कहेंगे।’

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