नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच हाल के दिनों में रिश्तों में सुधार देखा जा रहा है. कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर सेनाओं के पीछे हटने का निर्णय लिया गया है. 28 और 29 अक्टूबर को दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी और कई क्षेत्रों में गश्त भी शुरू हो जाएगी.

गलवान हिंसा के बाद पहली बार सहमति

2020 में गलवान हिंसा के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत और चीन के बीच किसी मुद्दे पर सहमति बनी है. यह डिसइंगेजमेंट विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और डेपसांग के फ्रिक्शन पॉइंट पर हो रहा है. समझौते के अनुसार, दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटेंगी.

जानें क्या कहा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि यह डिसइंगेजमेंट तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है. उन्होंने कहा कि लद्दाख की सीमा पर दोनों देशों के बीच विश्वास और शांति स्थापित करने में समय लगेगा. उन्होंने समझौते के तीन प्रमुख मुद्दों पर भी प्रकाश डाला:

  1. सेनाओं को दूर करना – तनाव और झड़प की संभावना को कम करने के लिए.
  2. डीएस्कलेशन – स्थिति को सामान्य करने की प्रक्रिया.
  3. सीमा प्रबंधन – विवाद समाधान के लिए चर्चा को आगे बढ़ाना.

जयशंकर ने कहा कि सीमा पर तनाव के चलते बातचीत की संभावना सीमित थी. अब, उम्मीद की जा रही है कि यह कदम आगे के विवादों को हल करने में मदद करेगा. हालांकि, अभी यह कहना कठिन है कि इस समझौते का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा.

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