Joharlive Desk
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले कुछ समय से चला आ रहा गतिरोध अब सुलझता नजर आ रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के तीन गतिरोध स्थलों से अपने सैनिकों और लड़ाकू वाहनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से एलएसी पर चल रहा भारत व चीन के बीच टकराव अब सुलझ जाएगा।
जानकारी मिली है कि छह जून को हुई भारत और चीन की शीर्ष सैन्य-स्तरीय वार्ता के बाद यह वापसी प्रक्रिया शुरू हुई है।
छह जून को हुई यह बैठक लगभग छह घंटे तक दो चरणों में चली थी। पहले डेढ़ घंटे के दौरान, प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों की वन-टू-वन बैठक हुई और इसने दूसरे चरण की वार्ता के लिए आधार तैयार किया। भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कॉर्प के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया था।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की पहले डेढ़ घंटे की बैठक हुई और फिर अगले दो घंटों में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई, जहां अनुवादक (ट्रांसटेलर) के साथ ही भारतीय पक्ष से 12 सदस्य शामिल रहे। बैठक में हिस्सा लेने वालों की यही समान संख्या चीनी पक्ष की ओर से भी रही। दो घंटे के बाद एक लंच ब्रेक (दोपहर का भोजन) भी लिया गया और फिर चार घंटे तक विचार-विमर्श हुआ।
प्रतिनिधियों के बीच चर्चा के दौरान पांच मुख्य मुद्दे रहे।
दोनों देशों के सैनिक चार गतिरोध बिंदुओं पर आमने-सामने थे। इन चार गतिरोध बिंदुओं में पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर फोर, गालवान घाटी के पास गश्त बिंदु 14, गश्त बिंदु 15 और गश्त बिंदु 17-ए शामिल हैं।
विचार-विमर्श के दौरान, यह तय किया गया कि 10 दिनों के बाद, ब्रिगेडियर-स्तरीय वार्ता तीन गश्त बिंदुओं – पीपी 14, पीपी 15 और पीपी 17-ए के लिए शुरू होगी।
सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग झील में भारतीय पक्ष की ओर से महत्वपूर्ण विवाद फिंगर-4 में था। यह मामला लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर की वार्ता के उच्चस्तर पर लिया जाएगा और वरिष्ठ सैन्य-स्तरीय वार्ता का एक और दौर होगा। सूत्रों ने कहा कि भारत आठ मई से पहले की स्थिति चाहता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जिएची ने आठ मई को गतिरोध के मुद्दे पर बातचीत की थी।