नई दिल्ली : भारत और अमेरिका ने हिंद महासागर में चीन पर अब नकेल कसना तेज कर दिया है. भारत ने जहां हिंद महासागर में बसे अफ्रीकी देश मॉरिशस के अगालेगा में नई हवाई पट्टी और युद्धपोतों को रुकने लायक जेट्टी का निर्माण किया है, वहीं अब लक्षद्वीप में आईएनएस जटायु नौसैनिक अड्डे का उद्घाटन होने जा रहा है. भारत मालदीव से सटे लक्षद्वीप में नौसैनिक अड्डे का उद्घाटन ऐसे समय पर करने जा रहा है जब माले में नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू चीन की गोद में चले गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि मॉरिशस का अगालेगा भारत के लिए ठीक उसी तरह से काम करेगा जैसे अमेरिका के लिए डियागो गार्सिया नौसैनिक अड्डा करता है. डियागो गार्सिया एक ब्रिटिश स्वामित्व वाला द्वीप है जो मालदीव के ठीक नीचे है और अमेरिका ने यहां पर विशाल नौसैनिक अड्डा बना रखा है. अमेरिका ने यहां परमाणु बॉम्बर तक तैनात किया है. इस तरह से हिंद महासागर में पैर फैला रहे चीन की जोरदार घेरेबंदी तेज हो गई है.
खबरों के मुताबिक लक्षद्वीप के मिनिकोय द्वीप पर आईएनएस जटायु नेवल बेस का उद्घाटन अगले सप्ताह किया जा सकता है. अरब सागर में स्थित मिनिकोय का यह नेवल बेस क्षमता में ठीक उसी तरह से होगा जैसे अंडमान निकोबार पर बना आईएनएस बाज है. भारतीय नौसेना लक्षद्वीप के पास ही अपने दोनों ही एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत को ऑपरेट कर रही है. ऐसा अनुभव वर्षो में पहली बार हो रहा है. कोई एयरक्राफ्ट कैरियर उस देश की ताकत के प्रतीक माने जाते हैं. इसके अलावा भारतीय नौसेना सबमरीन का शिकार करने में सक्षम अमेरिकी एमएच 60 हेलिकॉप्टर को भी यहां तैनात कर सकती है. यहां पर एक हवाई पट्टी भी बनाने पर काम चल रहा है. इससे वहां पर फाइटर जेट भी आसानी से उतर सकेंगे.
मॉरिशस का अगालेगा भारत के लिए है जरूरी
चीन से निपटने के लिए भारत ने मॉरिशस के अगालेगा द्वीप पर नौसैनिक सुविधा केंद्र विकसित किया है. कई विश्लेषकों का कहना है कि यह भारत का नौसैनिक अड्डा है जहां पी 8 आई जैसे सबमरीन हंटर विमान भी उतर सकेंगे. हालांकि भारत इसे अभी गोपनीय ही रखना चाहता है. भारत के दोस्त मॉरिशस का अगालेगा एक सुदूर द्वीप है जो हिंद महासागर में रणनीतिक लिहाज से बहुत अहम है. इस द्वीप पर करीब 300 लोग रहते हैं. यह द्वीप मोजाबिंक चैनल के पास है जो व्यापारिक जहाजों और तेल कंटेनर के लिए बहुत महत्वपूर्ण मार्ग है. मोजाबिंक चैनल से दुनिया के करीब 30 फीसदी टैंकर का ट्रैफिक गुजरता है.
मोजांबिक चैनल का इलाका हाल के वर्षों में काफी अस्थिरता से भरा रहा है और आतंकी घटनाएं भी हुई हैं. साल 2015 में भारत ने मॉरिशस के इस द्वीप पर हवाई पट्टी और जेटी बनाने का फैसला किया था. यह पूरा इलाका मॉरिशस के मुख्य हिस्से से काफी कटा हुआ है और इसी वजह से भारत ने कनेक्टिटी का प्रस्ताव दिया था. ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट ने साल 2021 में इसे भारत का नेवल बेस निर्माण करार दे दिया. हालांकि भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया है. वहीं मॉरिशस के पीएम ने साफ कहा है कि इस द्वीप पर नियंत्रण उनकी सेना का होगा. यह भारत का नेवल बेस नहीं है.
चीन की हर चाल पर रहेगी नजर
भारत को अगालेगा द्वीप पर इन सुविधा केंद्रों को बनाने से काफी फायदा होने जा रहा है. इससे भारत समुद्री निगरानी और जासूसी आसानी से कर सकेगा. भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और सैन्य ताकत में भी विस्तार हो रहा है. भारत के पास हिंद महासागर की सुरक्षा का भी जिम्मा है. इसमें जहाजों की सुरक्षा और समुद्री लुटेरों से सुरक्षा शामिल है. भारत ने ओमान और मॉरिशस के साथ मजबूत रिश्ते विकसित किए हैं ताकि पश्चिमी हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ाया जा सके. अब अगालेगा से भारत आसानी से सर्विलांस और गश्त लगाने के अभियान को अंजाम दे सकेगा.