नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को इजरायल-हमास सीजफायर का प्रस्ताव आया, लेकिन इसमें वोटिंग से भारत ने खुद को दूर ही रखा. महासभा में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर भारत ने मतदान से दूरी बना ली, जिसका मकसद गाजा में तत्काल टिकाऊ व निरंतर मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान था, लेकिन इसमें आतंकी कृत्य को अंजाम देने वाले समूह हमास का कोई उल्लेख ही नहीं किया गया था. इसी कारण भारत ने इस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान करने से दूरी बना ली.
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भारत की राह पर ये देश भी
मसौदा प्रस्ताव में गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का भी आह्वान किया गया था और इसे बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों द्वारा समर्थन दिया गया था. भारत के अलावा वोटिंग से दूरी बनाने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन व यूके भी शामिल रहे. वहीं, नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी तथा मानवीय दायित्वों को कायम रखने वाले प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट, विपक्ष में 14 वोट और अनुपस्थितों की संख्या 45 रही. भारत भी उन देशों में शामिल रहा, जिसने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
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हमास के आतंकी कृत्य की जमकर निंदा
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा पर गहराई से चिंतित होना चाहिए. 7 अक्टूबर को इज़रायल में आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा लायक भी. बंधक बनाए गए लोगों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं. हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं. आतंकवाद एक घातक रोग है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती. हमें एकजुट होकर आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. वहीं, योजना पटेल ने कहा है कि गाजा में जारी संघर्ष के दौरान हो रही मौतें एक गंभीर और निरंतर चिंता का विषय है. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत करते हैं. भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है.
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