गढ़वा. काम देने के नाम पर उत्तर प्रदेश में झारखंड के गढ़वा ज़िले के 16 आदिवासियों को बंधक बनाकर रखा गया है. यह बात सामने आने के बाद इन 16 लड़कों के परिवारों में कोहराम मच गया है, तो दूसरी तरफ, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद छानबीन शुरू कर दी है. इन 16 लड़कों के बंधक बनाए जाने की बात का खुलासा तब हुआ, जब यूपी में बंधक बनाए गए लड़कों में से तीन किसी तरह भागकर अपने गांव पहुंचने में कामयाब हो सके. इन्होंने जो कहानी पुलिस के सामने रखी है, वह हैरतनाक तो है ही, पुलिस उसमें से सुराग तलाशने की जुगत कर रही है.

ज़िले के उंटारी थाना क्षेत्र के गरबाँध के आदिवासी बहुल इलाके के 16 आदिवासी लड़कों को यूपी के मुजफ्फरनगर में नौकरी के नाम पर बंधक बनाया गया. खुलासा तब हुआ जब इन 16 में से तीन गोपाल उरांव, जितेंद्र उरांव व शिवधारी उरांव किसी तरह चंगुल से मुक्त होकर घर लौट पाए. पुलिस इन तीनों युवकों से पूछताछ कर रही है. गरबांध गांव निवासी बिरजू उरांव ने मंगलवार शाम को थाने में आवेदन देकर 11 नाबालिगों समेत 16 लड़कों को मुक्त कराने की गुहार लगाई.

कैसे बंधक बना लिये गए लड़के?
बिरजू ने थाने को दिए आवेदन में लिखा कि उसके बेटे शिवधारी उरांव को सीमावर्ती सोनभद्र ज़िले के निवासी अरुण सिंह पिता बुद्धि नारायण सिंह ने फोन किया और चीनी व गुड़ मिल में काम के लिए बुलाया था. अरुण के कहने पर शिवधारी के साथ गांव के 15 अन्य लड़के 20 जून को गए थे. सभी लड़कों को अलग-अलग जगहों पर ठेकेदार बुद्धि नारायण सिंह ने काम पर लगाया. तभी से लड़कों से परिवार वाले बात नहीं कर पाए. चिंतित परिवारों को सच पता चला, जब शिवधारी ने किसी तरह फोन पर बताया कि उन लोगों को वहां बंधक बना लिया गया.

शिकायत के मुताबिक बंधक बनाए गए लड़कों के सारे कागजात, आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, पैन कार्ड सब लूट लिए गए. उन्हें कहीं बाहर नहीं निकलने दिया गया. हम लोगों को बंद करके रखा गया. गांव के शिवनाथ ने बताया कि बच्चों के भविष्य को लेकर ग्रामीण चिंतित भी हैं, डरे हुए भी. पुलिस से मांग की गई है कि जल्दी इन लोगों को रिहा करवाया जाए. वहीं, बिरजू ने बच्चों की रिहाई के साथ दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग भी की. डीएसपी, मुख्यालय ने इस मामले और पुलिस के जांच करने की पुष्टि की.

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