झारखंड

अंतिम चरण के रण में संथाल की तीनों सीटों पर दिग्गज लगायेंगे दम, 28 को दुमका में मोदी भरेंगे हुंकार

दुमका और गोड्डा में वापसी के लिए झामुमो-कांग्रेस ने झोंकी ताकत, राजमहल में सीट बचाने की चुनौती

रांची : छठे चरण के चुनाव के साथ झारखंड की 14 में से 11 लोकसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया. अब सबकी नजर बची हुई तीन सीटों पर है. आखिरी चरण की तीनों लोकसभा सीट संथाल परगना की है. 1 जून को दुमका, गोड्डा और राजमहल सीट पर वोट पड़ेंगे. दुमका और गोड्डा भाजपा की सीटिंग सीट है, जबकि राजमहल में झामुमो का कब्जा है. इस बार इन तीनों सीटों पर एनडीए बनाम इंडी गठबंधन की लड़ाई है. इन तीनों सीटों में राजमहल और दुमका एसटी सुरक्षित सीट है, जबकि गोड्डा सामान्य सीट है. आखिरी चरण के चुनाव में यहां सभी दलों के दिग्गजों की जोर आजमाइश होगी. केंद्रीय मंत्री अमित शाह गोड्डा और दुमका लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर के जा चुके हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव भी देवघर में सभा कर चुके हैं. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की भी गोड्डा में सभा हो गई है. इससे पहले राहुल गांधी का भी दौरा गोड्डा में हुआ. अब चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुमका में हुंकार भरेंगे.

एनडीए और इंडिया के प्रचार में सिर्फ हेमंत छाये

कभी झामुमो का गढ़ माने जाने वाले संथाल परगना में झामुमो फिर से कब्जा जमाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है. दुमका लोकसभा सीट पर झामुमो की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यहां सोरेन परिवार के बीच जंग छिड़ी है. शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन इस बार भाजपा से ताल ठोंक रही हैं, वहीं छोटी बहू कल्पना सोरेन और शिबू के छोटे बेटे बसंत सोरेन इंडी गठबंधन के प्रत्याशी नलिन सोरेन को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं. दुमका समेत पूरे संथाल परगना में झामुमो मुख्य रूप से हेमंत सोरेन के मुद्दा उठाकर चुनाव लड़ रही है. झामुमो और उसके सहयोगी दल जनता के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नायक की छवि देकर उभार रहे हैं. वे जनता को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा आदिवासी विरोधी है. उनसे एक आदिवासी मुख्यमंत्री बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए ईडी के जरिये झूठे केस में फंसाकर उन्हें जेल में डाल दिया है. भाजपा की मंशा थी की हेमंत चुनाव प्रचार नहीं करें. क्योंकि भाजपा को पता है कि हेमंत मैदान में उतर गये तो झारखंड से भाजपा का सफाया तय है. उधर भाजपा भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के मुद्दे पर वोट मांग रही है और हेमंत सोरेन के जेल जाने को सही ठहरा रही है.

इस बार संथाल के सीटों में अलग है स्थिति

संथाल में 2019 के लोकसभा चुनाव और इस बार की स्थिति अलग है. इस बार भाजपा और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए संथाल का चुनावी जंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीता सोरेन पार्टी में शामिल कराकर उन्हें दुमका से उम्मीदवार बनाया है. अगर सीता सोरेन चुनाव नहीं जीत पाती हैं तो उसका इसका गलत मैसेज राज्य में जायेगा. संथाल की तीनों लोकसभा सीट से चुनाव जीतना बाबूलाल मरांडी के साख बचाने के लिए जरूरी है उतना ही प्रतिष्ठा का विषय झामुमो और सोरेन परिवार के लिए भी है. वहीं झामुमो के साथ राजमहल में सिर्फ सीट बचाने की चुनौती है, जबकि गोड्डा में वापसी करते हुए फिर से यह सीट कांग्रेस की झोली में डालने की चुनौती है.

राजमहल में त्रिकोणीय मुकाबला

राजमहल लोकसभा सीट फिलहाल झामुमो के कब्जे में है. मोदी लहर के बावजूद विजय हांसदा ने 2014 और 2019 में यहां से जीत दर्ज की थी. इस बार भी झामुमो से विजय हांसदा को चुनावी मैदान में हैं. यहां उनके सामने भाजपा को ओर से पूर्व बोरियो से विधायक ताला मरांडी हैं. यहां के चुनाव को झामुमो के ही बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने दिलचस्प बना दिया है. पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो बगावत कर चुनाव मैदान में उतर गये हैं. इनके आने से राजमहल में त्रिकोणिय मुकाबला हो गया है.

दुमका में सीता-नलिन में टक्कर

दुमका में भाजपा और झामुमो में सीधा मुकाबला है. भाजपा ने सीटिंग सांसद सुनील सोरेन को इस बार चुनाव में टिकट देकर टिकट काट दिया. उनकी जगह झामुमो से भाजपा में आईं सीता सोरेन को चुनाव का टिकट दे दिया. इससे कहीं न कहीं सुनील सोरेन के समर्थकों में नाराजगी है. इसके भाजपा को नुकसान होने की भी आशंका है. वहीं दूसरी तरफ झामुमो ने शिबू सोरेन के सहयोगी और झामुमो के पुराने सिपाही नलिन सोरेन को सीता के खिलाफ उतारा है. नलिन सोरेन शिकारीपाड़ा विधानसभा से 7 बार विधायक रह चुके हैं. इसलिए सीता के सामने दुमका में कई चुनौतियां हैं.

गोड्डा में निशिकांत को चुनौती दे रहे प्रदीप

गोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा के निशिकांत दुबे लगातार तीन बार सांसद बन चुके हैं. चौथी बार फिर यहां से संसद पहुंचने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. काफी कॉन्फिडेंस में हैं और इंडी गठबंधन को मजबूती के साथ चुनौती दे रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप यादव से है. प्रदीप यादव गोड्डा लोकसभा सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं और पोड़ैयाहाट विधानसभा से सीटिंग विधायक है.

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