नई दिल्ली: मानसून सत्र को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस पार्टी ने लगातार डिप्टी स्पीकर पद की मांग की. साथ ही नीट यूजी विवाद और कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तरप्रदेश सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया. बजट सत्र के पहले बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने अपने मुद्दों को रखा. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने नीट यूजी के साथ-साथ एजेंसियों के दुरुपयोग का मामला भी उठाया. उन्होंने कहा कि एजेंसियां केवल विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए छोड़ रखी हैं. बीजेपी या एनडीए में शामिल होने वालों के पीछे एजेंसियां नहीं जाती. इसके अलावा उन्होंने कहा कि संसद में विपक्ष के नेताओं को अपने मुद्दे उठाने देना चाहिए. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने टीडीपी सरकार के द्वारा उनके लोगों को जबरन टारगेट करने का आरोप लगाया. बैठक में बीजपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, चिराग पासवान, असदुद्दीन औवेसी, राजद के अभय कुशवाहा, आप के संजय सिंह, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव शामिल हुए. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी अध्यक्षता की.
जयराम रमेश ने किया एक्स पर पोस्ट
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बैठक के बाद सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट में लिखा कि ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज हुई सर्वदलीय बैठक में जेडीयू नेता ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. बैठक का मुख्य मुद्दा आगामी मानसून सत्र में आम सहमति बनाना था, लेकिन बैठक के दौरान कई दलों ने सरकार के सामने ऐसे मुद्दे उठाए कि दलों की मांगें मानसून सत्र से ज्यादा सुर्खियों में आ गईं. वाईएसआरसीपी ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. इस मामले पर टीडीपी नेता चुप रहे.’ बैठक में बीजू जनता दल ने भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने दावा किया कि बैठक के दौरान बीजद ने सरकार को याद दिलाया कि भाजपा ने 2014 के अपने घोषणापत्र में ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा की थी.
ओडिशा में कानून का पालन नहीं
बैठक के बाद बीजद सांसद डॉ. सस्मित पात्रा ने कहा, ओडिशा दो दशक से अधिक समय से विशेष राज्य के दर्जे से वंचित है. बिहार और आंध्र प्रदेश के राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा है. दूसरा मुद्दा ओडिशा राज्य के लिए कोयला रॉयल्टी में संशोधन न होना है. हमने केंद्र से धन के घटते हस्तांतरण और इस दिशा में काम करने की आवश्यकता का मुद्दा भी उठाया. साथ ही ओडिशा के राज्यपाल के बेटे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. ओडिशा राज्य में कानून का पालन नहीं हो रहा है.