रांची: करमा पर्व के मौके पर झारखंड में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. हर साल की तरह इस साल भी रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग के अखड़ा में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान कुलपति समेत विश्वविद्यालय के कई पदाधिकारी भी मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान सभी ढोल नगाड़ों की थाप पर जमकर झूमे.

प्रकृति महापर्व करमा आदिवासियों के प्रमुख त्योहारों में से एक है. भादो मास के एकादशी को झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों में करम महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. प्रकृति से जुड़े इस पर्व का खास महत्व है. राजधानी रांची में प्रत्येक साल करमा महोत्सव के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लोग ढोल नगाड़ों के थाप पर जमकर नृत्य करते हैं. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग के अखड़ा में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जनजातीय भाषा विभाग के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हर साल राज्यपाल शामिल होते हैं. लेकिन इस साल कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकारी गाइडलाइन के तहत राज्यपाल कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके.

कार्यक्रम के दौरान आरयू के सभी पदाधिकारी रहे मौजूद


आरयू में करमा महोत्सव के दौरान कुलपति कामिनी कुमार के साथ-साथ सभी पदाधिकारी मौजूद रहे. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग की स्थापना के बाद से ही हर साल अखड़ा में करमा महोत्सव मनाया जाता है. एक परंपरा के तहत पूरे रीति-रिवाज से यहां करम महोत्सव मनाया जाता है. हालांकि कोरोना काल के दौरान सभी पर्व त्यौहार फिका पड़ गया है. इसके बावजूद भी लोग कोरोना गाइडलाइन के तहत अपनी परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं.

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