JoharLive Team

रांची। झारखंड में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक तिथि की घोषणा नहीं हुई है, परंतु राजनीतिक दलों के मैदान सजने लगे हैं। एक-एक सीट पर मजबूत दावेदार की तलाश जारी है। इस तलाश में पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सेंधमारी कर कई दलों के विधायकों और नेताओं को अपने पाले में कर लिया है। परंतु महाराष्ट्र, हरियाणा के चुनाव परिणाम तथा बिहार के उपचुनाव के नतीजे ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से राजनीतिक दलों को कुछ संदेश भी दे दिया है।

संदेश स्पष्ट है कि जनता दल बलदुओं को सिर माथे पर अब नहीं बैठाने वाली। ऐसे में दलबदलुओं के लिए परेशानी बढ़ गई है। इन तीनों राज्यों के मतदाताओं ने हालिया चुनाव में बड़े पैमाने पर दल बदलुओं को नकार दिया है, जिससे भाजपा के रणनीतिकार भी अपनी रणनीति में बदलाव करने में जुटे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में चुनाव से ठीक पहले विपक्षी दलों से भाजपा में शामिल हुए 19 प्रमुख चेहरों में से 11 लोग चुनाव हार गए। इनमें सतारा से उदयनराजे भोसले, हर्षवर्धन पाटील, वैभव पिचड और दिलीप सोपाल प्रमुख रूप से शामिल हैं।

चुनाव के पूर्व ऐसा नहीं कि दल बदल कर अन्य दलों में नेता नहीं पहुंचे हैं, परंतु इनमें सबसे अधिक संख्या में नेता भाजपा में आए हैं। अन्य दल भी दल बदल कर आने वाले नेताओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। दल बदल होने के बाद कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी दृश्य बदलने की संभावना है। भाजपा संगठन से जुड़े एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, इन राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद पार्टी ने रणनीति बदली है। ऐसे में अन्य दलों से आए नेताओं को टिकट मिल ही जाए, इसमें संदेह है।

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