Joharlive Team/Desk
नई दिल्ली/रांची। कोरोना संकट के दौरान दूसरे राज्य से आए प्रवासी कामगारों को सरकारी कवच के साथ दोबारा भेजे जाने की पहल तेज हो गयी है। इस कड़ी में झारखंड ने नए कानून के तहत 10 हजार से अधिक मजदूरों को सबसे लेह-लद्दाख में भेजने के लिए नये मानक को मंजूरी दी। इसके तहत 11185 कामगारों को सरकारी संरक्षण में लेह में सड़क निर्माण में काम करने के लिए भेजने पर सहमति हुई। झारखंड सरकार की ओर से जारी नये गाइडलाइंस के अनुसार अब हर जिले के डीसी इसी तरह मजूदरों को ले जाने वाली एजेंसी से समझौते करेंगे।
राज्य सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद संथाल परगना के 11815 श्रमिकों को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए काम करने का अवसर मिलेगा। लॉकडाउन के कारण लेह-लद्दाख से लौटे प्रवासी मजदूरों को ले जाने की अनुमति बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को दी है। अब इन मजदूरों को निर्धारित मजदूरी की राशि में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ सीधे उनके बैंक खाते में मिलेगी। साथ ही तय हुआ कि आगे से भविष्य में बीआरओ और उपायुक्त के बीच पंजीकरण प्रक्रिया के बाद ही श्रमिक जाएंगे।
इन मजदूरों को चिकित्सा सुविधा, यात्रा भत्ता, कार्य स्थल पर सुरक्षा, आवास लाभ भी मिलेगा। मालूम हो कि संथाल परगना से हजारों आदिवासी श्रमिक 1970 से लेह-लद्दाख के दूरगम स्थान, कठिनतम चोटियों और दर्रों पर विशेषकर सड़क बनाने जाते हैं। इन्हें इन दुर्गम जगह पर साल में दो बार बुलाया जाता है। एक बार अप्रैल-मई में श्रमिक जाते हैं, इन्हें सितंबर तक लौटना होता है। दूसरी बार अक्टूबर-नवंबर के दौरान श्रमिक जाते हैं और फरवरी में लौटने लगते हैं।
झारखंड सरकार के अनुसार अगले कुछ दिनों में कानूनी संरक्षण में एक लाख से अधिक कामगारों को दूसरे राज्य भेजने की तैयारी है। इसी तर्ज पर बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने भी देश के अलग-अलग कोने से आए कामगारों को काम देने और भविष्य में उनके दूसरे राज्य में काम करने के लिए पलायन करने को एक व्यवस्थित रूप देने की योजना पर बनाने पर महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू किया है।
इसके तहत दोनों राज्यों में लौटे लाखों कामगारों की स्किल मैपिंग हो रही है और अगर भविष्य में दूसरे राज्य जाएंगे तो वहां इनके हितों की रक्षा और मानक के हिसाब से वेन मिले इसके लिए भी एक नीति बनाने की कोशिश हो रही है। पिछले दिनों झारखंड सरकार ने मजदूरों को बॉर्डर इलाके में होने वाले निर्माण कार्य के लिए भेजने से मना कर दिया था, जिसपर विवाद हुआ था। हालांकि अब सरकार ने मजदूरों को ज्यादा वेतन पर भेजने का फैसला लिया है।
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