गोड्डा : झारखंड के गोड्डा में तीन अनाथ भाई-बहनों में से भाई की भूख से मौत का मामला गरमा गया है. विधानसभा स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने इस घटना को हृदयविदारक बताते हुए इसे प्रशासनिक तंत्र पर कड़ा प्रहार बताया है, साथ ही उन्होंने गोड्डा के डीसी से दो बहनों को हर संभव मदद देने और उनकी पढ़ाई का खर्च उठाने के निर्देश दिए हैं. कार्रवाई के बाद इसकी सूचना देने के लिए भी डीसी को कहा है. जानकारी के मुताबिक, शांति, प्रमिला और मोहन 3 अनाथ भाई-बहन पिछले एक साल से गोड्डा के सुंदर पहाड़ी के सुन्दरमोड़ में अपनी ज़िंदगी काट रहे थे. तीनों भाई-बहनों में मोहन सबसे बड़ा था. मोहन मानसिक रूप से कमजोर था.
कुछ वर्षो पहले इनके पिता जी की जान गई थी. उसके कुछ समय के बाद मां भी चल बसीं. इसके बाद महज 7-8 साल की उम्र में तीनों अनाथ हो गए. भोजन पकाकर देने वाला बचा और न ही सिर पर किसी का शाया बचा था. इन अनाथों को जब घर और परवरिश की जरूरत थी, तो समाज सेविका वंदना दुबे ने हाथ बढ़ाया, वंदना के पास पहले से भी करीबन 20 बच्चे थे, जिसकी देखरेख वो अपने आश्रम में कर रही थी. ये वही वंदना दुबे हैं, जिन्हें 2016 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
10 महीने पहले आए आदेश के बाद हुआ कुछ सुधार
शांति प्रमिला और मोहन की भी जिम्मेदारी वंदना ने ली तो सरकार की ओर से करीबन 10 महीने पहले ये आदेश आया कि आश्रम में जो बच्चे हैं, उसे सरकार को दे दिया जाए. बाल कल्याण समिति उसकी देखरेख करेगी. तीनो बच्चों को सुंदरपहाड़ी के सुन्दरमोड उनके परिवार के कुछ सदस्यों (चाचा चाची) के पास भेज दिया गया और विभाग उसकी देखरेख करने लगा. अनाज पहुंचाने लगा. विभाग की ओर से आश्वासन दिया गया है कि बहुत जल्द इन तीनों की स्थिति ठीक हो जाएगी और इन्हें आवास भी दिया जाएगा.
मोहन की देखरेख बहनें करने लगीं
अब मोहन कि देख रेख उनकी दोनों बहन करने लगीं. सरकार इनकी जरूरतों को जब पूरा नहीं करने लगी तो दोनों बहनों ने ईंट के भट्टे में काम करना शुरू कर दिया. इस दरमियां बीते 3 तारीख को मोहन की जान चली गई. हालांकि मौत से कुछ महीने पहले मोहन बालिग हो चुका था. पर उनकी बहन अब भी नाबालिक हैं. मौत के बाद मोहन की बहनों ने बताया कि जब वो अनाथ आश्रम में रहती थी तो सब ठीक था. परंतु यहां घर पर तो सही से खाना भी नही मिलता है और भाई की मौत भी भूख की वजह से हुई है. इधर, जब इस मौत पर विभाग के अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो बाल कल्याण पदाधिकारी नजरें चुराकर भागते दिखे.