हजारीबाग: जिले के टाटीझरिया के धरमपुर में घर में शादी की तैयारी चल रही थी, शुक्रवार को दुल्हन पक्ष के लोग दूल्हे का तिलक करने के लिए आने वाले थे। लेकिन इसी दिन उन्हें दूल्हे के शवयात्रा में शामिल होना पडा। कामेश्वर महली (26 वर्ष) पिता करमचंद महली की मौत करैत सांप के डंसने से हो गई है।
घर में चल रही शादी की तैयारी गम में बदल गई। यह दिल दहला देने वाली घटना से हर किसी के आंखों में आंसू आ गया। जानकारी के अनुसार कामेश्वर महली गुरूवार की रात में घर के छत्त पर सोया हुआ था। रात में अचानक बारिश शुरू हो गई।
इसी बीच छत्त से नीचे उतरकर घर के बरामदे में वह जमीन पर ही चटाई बिछाकर सो गया। रात 12:30 बजे करैत सांप कामेश्वर के कमर में तीन बार डंस लिया। परिजन घर पर ही ढाई-तीन घंटे तक झाडफूंक कराते रह गए।
अहले सुबह उसे हजारीबाग सदर अस्पताल लाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। स्थानीय लोगों का मानना था कि झाडफूंक में विलंब नहीं होता और सही समय पर कामेश्वर को अस्पताल ले जाया जाता तो शायद इसकी जान बच जाती।
अपने चार भाईयों में सबसे छोटे कामेश्वर की शादी का तिलक कार्यक्रम के लिए शुक्रवार को तुपकाडीह-बोकारो से दुल्हन पक्ष के लोग आने वाले थे कि इससे पहले उनतक दूल्हे की मौत की खबर पहुंच गई।
तिलक कार्यक्रम में आनेवाले लोगों को उसी दिन दूल्हे के अंतिम संस्कार में शामिल होना पडा। शादी आषाढ़ महीने जुलाई में होने वाली थी। जिसकी सब तैयारी हो चुकी थी। शुक्रवार को तिलक कार्यक्रम के दिन ही मौत की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। दूल्हा-दुल्हन के घरवालों का रो-रो कर बुरा हाल है। जिस घर में शादी का उत्सव मनाया जा रहा था वहां मातम छा गया है।
करैत नर्वस सिस्टम को करता है ब्रेक, डंसने के बाद दो घंटे तक नहीं दिखाई देता कोई लक्षण
हजारीबाग जिले के सांपों पर काम करने वाले मुरारी सिंह ने बताया कि करैत का विष हमारे नर्वस सिस्टम को ब्रेक करता है। मसल को शिथिल कर देता है। इसलिए इसे न्यूरोटॉक्सिक जहरवाला सांप कहा गया है। यह पूरी तरह से निशाचर है। जो दिन में सुस्त लेकिन रात में सक्रिय शिकारी। यह बहुत शर्मीला, गैर-आक्रामक सांप, आमतौर पर परेशान न होने पर काटने से हिचकिचाता है।
रात के दौरान जब यह बहुत सक्रिय होता है, तो यह जोर से फुफकार सकता है और उत्पीड़न पर डंसने की कोशिश कर सकता है। जब यह डंसता है तो यह अक्सर काफी मात्रा में जहर डाल देता है। विष का लक्षण उभरने में दो घंटे लग जाते हैं। झारखंड में 25 तरह के सांप मिलते हैं। इसमें से करैत की दो, कोबरा की दो और वाइपर की प्रजाति ही जहरीली है।