रांची. झारखंड सरकार ने तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की राज्य सरकार की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से चयन परीक्षा में स्थानीय भाषा की परीक्षा में अभ्यर्थियों का उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया है. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को यहां हुई राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया. उन्होंने बताया कि अब झारखंड में शिक्षित युवाओं को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जायेगी. तथा झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली मैट्रिक, इंटर एवं स्नातक अर्हता की सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में अब केवल मुख्य परीक्षा होगी और प्रारंभिक परीक्षा की प्रणाली खत्म कर दी गयी है. उनके अनुसार नये फैसले के अनुसार विभिन्न स्तर की परीक्षाओं में झारखंडी जनजातीय भाषाओं के जानकार और स्थानीय रीति-रिवाज से परिचित अभ्यर्थियों को ज्यादा मौके मिलेंगे.

प्रवक्ता ने बताया कि इतना ही नहीं प्रतियोगिता परीक्षा में हिंदी और अंग्रेजी में सौ-सौ अंक की परीक्षा में कुल मिलाकर सिर्फ तीस अंक लाने होंगे और यह अंक मेधा सूची बनाये जाने के दौरान नहीं जोड़े जायेंगे.  लेकिन स्थानीय/आदिवासी भाषा में न्यूनतम् अर्हतांक प्राप्त करना ही होगा और इस अंक को मेधा सूची बनाते समय कुल अंक में जोड़ा जायेगा. झारखंड में नयी नियुक्ति नियमावली को गुरुवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी है. नयी नियमावली के अनुसार, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग नियुक्ति के लिए दो अलग-अलग परीक्षाओं (प्रारंभिक और मुख्य) का आयोजन नहीं कर एक ही परीक्षा से काम चलायेगा

Share.
Exit mobile version