Joharlive Team
खूंटी। प्रशासन के कथित भारी प्रयास के बाद भी खूंटी जिले में बालू की तस्करी का धंधा थमने के बजाय हर दिन फलफूल रहा है। रेत के खेल में हो रही कमाई को देखते हुए हर दिन नये-नये नाम जुड़ते जा रहे हैं। रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन से जुड़े लोग भी स्वीकार करते हैं कि सिर्फ तोरपा की कारो नदी से ही हर दिन 80 से 90 डंपरों में बालू की अवैध ढुलाई होती है।
हालांकि इस बात को न तो स्थानीय प्रशासन स्वीकार करने को तैयार है और न ही खनन विभाग। बालू की अवैध निकासी और ढुलाई के बाबत पूछे जाने पर अधिकारियों का एक ही जवाब होता है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।
पता लगाते हैं, यदि बात सच हुई तो कार्रवाई की जायेगी। हालांकि इस बात का सबको अंदेशा है कि बिना प्रशासन की सहमति के बिना बालू की इतने बड़े पैमाने पर तस्करी कैसे संभव है और जब आमलोगों को इसकी जानकारी है, तो अब तक प्रशासन को इसकी भनक कैसे नहीं है।
कुछ दिनों के अंतराल में एक-दो डंपरों को पकड़ कर उनसे जुर्माना वसूल कर प्रशासन और खनन विभाग अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। जुर्माना भरने के बाद तस्कर फिर अपने धंधे में लग जाता है। यही कारण है कि नदियों का सीना छलनी कर और रोज पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर तस्कर अपनी जेबें भर रहे हैं।
मार्च में ही सूख जाती हैं नदियां
नदियों से हो रहे अंधाधुंध उत्खनन का कुप्रभाव दिखने लगा है। जिस कारो नदी में मई और जून में भी पानी रहता था, पर अब कारो नदी मार्च महीने में ही सूख जाती है। बालू की इस कदर निकासी हो रही है कि नदियों में बालू की जगह मिट्टी और घास नजर आती है।
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