Hazaribagh : झारखंड के हजारीबाग जिले के चरही चनारो इलाके मेंअवैध चिमनी भट्ठा और कोयला तस्करी का गठजोड़ क्षेत्र की कानून व्यवस्था और पर्यावरण को चुनौती दे रहा है। यह काली सच्चाई न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य और आजीविका पर भी भारी पड़ रही है। चरही क्षेत्र में अवैध चिमनी भट्ठा बिना किसी लाइसेंस और मानकों के धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इन भट्ठा के लिए अवैध कोयले की आपूर्ति आसपास के खदानों से चोरी-छिपे की जा रही है। दिन-रात अवैध कोयले की ढुलाई पुलिस की नाक के नीचे से होती हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। रिपोर्ट के अनुसार, तापीन, पिंडरा, कजरी, फुसरी, बेहरा डंप और 14 माइल साइडिंग से कोयले की अवैध ढुलाई हो रही है, लेकिन प्रशासन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका है। यह सारा खेल स्थानीय नेताओं, भट्ठा मालिकों और माफिया के गठजोड़ से चलता है। पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभाव साफ देखे जा सकते हैं। चिमनी से निकलने वाला धुआं हवा को जहरीला बना रहा है, जिससे इलाके में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। खेतों की उपजाऊ मिट्टी प्रभावित हो रही है, और आसपास के जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध कारोबार को रोकने के नाम पर केवल दिखावटी कार्रवाइयां की जाती हैं। कई बार जब शिकायतें बढ़ती हैं, तो कुछ भट्ठा पर छापेमारी होती है, लेकिन ये कदम सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाते हैं। जरूरत है कि प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करे और इस गठजोड़ को तोड़े। अवैध चिमनी भट्ठा और कोयला तस्करी पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी से काम करना होगा, वरना यह काला धंधा क्षेत्र के भविष्य को और अंधकारमय बना देगा।
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