रांची : अगर आपके बच्चे का जन्म सदर हॉस्पिटल में हुआ है और उसका बर्थ सर्टिफिकेट बनाना है तो आपको लंबा इंतजार करना होगा. इतना ही नहीं सर्टिफिकेट के लिए आपको आफिस के चक्कर भी लगाने पड़ सकते है. चूंकि सदर हॉस्पिटल से बच्चों के जन्म का रिकार्ड सिविल सर्जन आफिस में नहीं भेजा जा रहा है. स्थिति यह हो गई है कि हर महीने आवेदनों की लिस्ट लंबी होती जा रही है. जिससे समझा जा सकता है कि सदर हॉस्पिटल रिकार्ड को लेकर किस कदर लापरवाही कर रहा है. बता दें कि सदर हॉस्पिटल में जन्म लेने वाले बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट सिविल सर्जन आफिस स्थित प्रज्ञा केंद्र से जारी किया जाता है.

हर महीने 400 बच्चों का जन्म

सदर हॉस्पिटल में हर दिन 10 से 15 बच्चों का जन्म होता है. वहीं महीने की बात करें तो लगभग 450 बच्चों की डिलीवरी सदर में हो रही है. अब इतने बच्चों के रिकार्ड भी हॉस्पिटल से नहीं भेजे जा रहे है. जिससे कि परिजनों को परेशानी हो रही है. वहीं सिविल सर्जन आफिस के चक्कर लगाकर परेशान है. बता दें कि राइट टू सर्विस एक्ट के तहत एक महीने के अंदर बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने का नियम है.

नहीं ले रहे बर्थ का आवेदन

हॉस्पिटल से रिकार्ड नहीं मिलने के कारण प्रज्ञा केंद्र के कर्मचारी आवेदन भी नहीं ले रहे है. पैरेंट्स को दो से तीन महीने बाद आवेदन करने को कहा जा रहा है. वहीं स्टाफ का कहना है कि सदर में जन्म लेने वाले बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट के लिए एक साल तक कभी भी आवेदन कर सकते है. इसके लिए कोई एक्सट्रा शुल्क या फाइन नहीं देना है.

कई लोगों प्रोत्साहन राशि नहीं मिली

स्वास्थ्य विभाग सरकारी हॉस्पिटल में डिलीवरी कराने वालों को प्रोत्साहन राशि देता है. जिसके तहत लाभुक को एक हजार रुपए दिए जाते है. लेकिन सैंकड़ों लाभुक ऐसे है जिन्हें प्रोत्साहन राशि ही नहीं मिली है. इसके लिए भी लाभुक सिविल सर्जन आफिस के चक्कर लगा रहे है. अब तो उनके द्वारा जमा किए गए पेपर भी नहीं मिल रहे है. ऐसे में उन्हें दोबारा से पेपर जमा कराने को कहा गया है.

‘इस मामले में सदर हॉस्पिटल के डीएस सह रजिस्ट्रार डॉ खैतान का कहना है कि हर एक-दो दिन में हॉस्पिटल से रिकार्ड भेजा जाता है. ऐसी तो कोई शिकायत नहीं है कि आवेदन लेने से इंकार किया जा रहा है. मामले में संबंधित लोगों से जानकारी ली जाएगी.’

 

 

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