Joharlive Desk
नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या 38 लाख के पार पहुंच चुकी है, जबकि दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 52,000 के आंकड़े को पार कर चुकी है और 15 सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई है। कोरोना वायरस के कारण भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन करना पड़ा है, हालांकि लॉकडाउन के बावजूद कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ी ही है लेकिन यदि लॉकडाउन नहीं होता तो क्या होता? इसके बारे में सोचने की जरूरत है।
मुंबई के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि यदि भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो करीब 4.3 लाख लोगों कोरोना से संक्रमित होती और करीब 33,000 लोगों की मौत होती। इस शोध के लिए रिप्रोडक्शन नंबर (R0) पैमाने का इस्तेमाल किया गया। लॉकडाउन से पहले R0 की गणना 2.56 थी, जो लॉकडाउन के बाद 1.16 हो गई है।
सीधे शब्दों में समझनें की कोशिश करें तो लॉकडाउन से पहले एक व्यक्ति 2.56 लोगों को संक्रमित कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद वह 1.16 लोगों को संक्रमित कर रहा है। इस शोध को लीड करने वाले लक्ष्मी कांत द्विवेदी के मुताबिक लॉकडाउन का मकसद प्रति व्यक्ति संक्रमण एक के से कम रखना था। उन्होंने आगे बताया कि 4-16 अप्रैल के बीच R0 1.56 के करीब था जो कि अब 1.16 से भी कम हो गया है, लेकिन अभी भी यह उम्मीद से ज्यादा ही है। द्विवेदी ने बताया कि यदि लॉकडाउन का पालन कायदे से नहीं होता है तो यह संख्या फिर से बढ़ सकती है।
शोध से पता चलता है कि लॉकडाउन के कारण भारत ने कोरोना के संक्रमण को करीब आठ गुणा कम किया है। यदि भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो पिछले एक महीने में यहां संक्रमितों की संख्या चार लाख के आंकड़े को पार कर गई होती। रिपोर्ट के मुताबिक यदि देश में लॉकडाउन नहीं किया गया होता तो एक्टिव संक्रमितों की संख्या अप्रैल के अंत तक 2.5 लाख होती, जबकि कुल तीन मई तक 4,34,431 लोग कोरोना से संक्रमित होते, लेकिन लॉकडाउन का फायदा यह मिला कि यह संख्या 40,263 ही रही। अनुमानित मौतों की बात करें तो लॉकडाउन नहीं होता तो तीन मई तक भारत में 34,319 लोगों की मौत हो गई होती, जबकि तीन मई तक यह संख्या 1,304 रही है। ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो कोरोना को रोकने का एक ही रास्ता है और वह है लॉकडाउन और उसका कायदे से पालन।
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