नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण और त्योहारों के मौके पर यहां पटाखे की खरीद-बिक्री और जलाने को लेकर दायर याचिकाओं पर आज 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कई सख्त टिप्पणियां की हैं. अदालत ने राज्य सरकारों(दिल्ली व पंजाब) को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है. हर कोई मामले को टालने पर लगा है. पराली हर हाल में जलनी बंद हो.

जानें वायु प्रदूषण पर सुनवाई में क्या-क्या हुआ

मामले की सुनवाई के दौरान सीनियर वकील अपराजिता सिंह ने सीनियर आईआईटी-कानपुर की एक स्टडी को पेश किया जो बताते हैं कि प्रदूषण के क्या स्रोत हैं. वकील अपराजिता ने कहा सीएक्यूएम ने रिपोर्ट दी है कि सबकुछ ठीक है. सीएक्यूएम ने रिपोर्ट दी है कि हम शून्य पराली जलाने की आशा में है. राज्यों के पास कोई बहाना नहीं है. अगर वो कहते हैं कि उनके पास पराली जलने को ट्रैक करने के लिए कोई एप है. इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि समाधान क्या है? दिल्ली को इस तरह घुटने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. पंजाब से अटॉर्नी जनरल ने कहा, यह समस्या 50-20 दिनों की होती है. इस पर जस्टिस कौल ने कहा, यह जरूर समय की समस्या है लेकिन इसे लेकर कोई गंभीरता मुझे नहीं दिखती. हमें इससे मतलब नहीं है कि आप कैसे करेंगे लेकिन हर हाल में इसे रोकना ही होगा. चाहे वह इंसेंटिव देकर करें या सख्ती बरतकर. इसके बाद जस्टिस कौल ने पंजाब के एजी से कहा, आपको पराली जलने से रोकना ही होगा. आपके प्रशासन को ये करना होगा. इसके लिए स्थानीय एसएचओ जिम्मेदार होंगे. उन्हें आज से ही इस पर काम करना शुरू करना होगा.फिर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर तक टाल दी.

केंद्र सरकार को कहा-आपको किसानों की करनी होगी मदद

जस्टिस कौल ने केंद्र से भी कहा कि आपको किसानों की मदद करनी होगी ताकि वह दूसरी फसलों पर शिफ्ट हो जाएं. जज आगे बोले, हम नहीं जानते आप अपने सभी अफसरों को लगाएं, हमें इस पर जरा भी धैर्य नहीं है. जज ने ये भी कहा कि आप जानते हैं कि अगर मैंने बुलडोजर शुरू कर दिया तो रुकने वाला नहीं हूं. अदालत ने कहा कि पराली के साथ ही ट्रैफिक भी दिल्ली के प्रदूषण की बहुत बड़ी वजह है और ऑड-ईवन से कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता.

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