जामताड़ा : चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने एक.प्रेसवार्ता का आयोजन कर कहा कि कृषि उपज एवं पशुधन विपणन नामक काला बिल लाकर झारखंड की 3.30 करोड़ जनता और लगभग 3:30 लाख खाद्यान्न व्यापारियों के साथ धोखा किया है. साथ ही साथ झारखंड की जनता को एक और महंगाई की भट्टी में झोंकने का काम किया है. कृषि उपज व पशुधन विपणन विधेयक को राज्य के वर्तमान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के द्वारा 25 मार्च 2022 को विधानसभा के पोर्टल पर पास करा कर राज्यपाल के पास भेजा था लेकिन कृषि उपज व पशुधन विपणन विधेयक में त्रुटि रहने के कारण राज्यपाल ने राज्य सरकार को वापस कर दिया था. कृषि उपज विपणन विधेयक के विरोध में फेडरेशन झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के मुख्यालय में 17 अप्रैल 2022 को झारखंड के लगभग 500 व्यापारियों ने हिस्सा लिया था और एकमत से निर्णय लिया गया कि जब तक इस विधेयक को सरकार वापस नहीं लेती है, तब तक सड़क से सदन तक शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चलाएंगे.
लगभग एक महीने आंदोलन चलने के बाद सरकार की नींद टूटी और सरकार के मंत्री आलमगीर आलम, विधायक दीपिका पांडे सिंह, जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी आगे आए और हमारे फेडरेशन झारखंड चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधि मंडल से बातों को सुना और उन्होंने आस्वस्त किया कि इस बिल को दोबारा हम लोग लागू नहीं करेंगे. कहा गया था कि आप लोग जो आंदोलन चला रहे हैं इसे समाप्त करें. फेडरेशन झारखंड चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आश्वासन पर उसे आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि एक बार फिर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के द्वारा 23 दिसंबर को विधानसभा में पास कराकर राज्य की करोड़ों जनता और लाखों खदान व्यापारी एवं किसानों पर एक अतिरिक्त कर लगाने का प्रयास किया जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
सरकार के पुनर्गठन के बाद इस बार बादल पत्र लेख जो पूर्व में कृषि मंत्री थे को हटाकर विधायक दीपिका पांडे सिंह को कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह वही कृषि मंत्री हैं जिन्होंने झारखंड फेडरेशन चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज के भवन में कहा था कि मैं आपके साथ हूं किसी भी हालत में कृषि बाजार समिति बिल को लागू नहीं करने का प्रयास करूंगी. बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उनकी कथनी और करनी में बहुत ही फर्क नजर आया. कृषि मंत्री बनते ही उन्होंने सबसे पहला काम कृषि बाजार समिति नामक काला कानून को पास कर झारखंड के लगभग साढे तीन लाख व्यापारी एवं किसानों के ऊपर अतिरिक्त कर लादने का काम किया. कृषि बाजार समिति नमक काला कानून 4 सितंबर 2024 को लागू हो जाएगा. कृषि उपज व पशुधन विधेयक के पास हो जाने से पूरे राज्य के व्यापारियों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बताया कि हमारे पड़ोसी राज्य बिहार, बंगाल, उड़ीसा में बाजार समिति को समाप्त कर दिया गया. यह एक अप्रत्यक्ष कर है और कृषि मूल्य के लागत में जुड़ जाता है. इस नियम को लगाए जाने पर कृषि उत्पादों की लागत मूल्य में वृद्धि होगी जिससे यहां के किसानों और व्यापारियों को अपने उत्पाद की खरीद बिक्री में नुकसान उठाना पड़ेगा तथा उनके व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. संजय अग्रवाल कहते हैं कि इसका फायदा पड़ोसी राज्य के कृषि व्यापारियों को मिलेगा. राज्य के बाहर से मंगाएं जाने वाले उत्पादों पर यह शुल्क लगाए जाने का कोई भी औचित्य नहीं है. एक ही वस्तु पर दोबारा शुल्क लगाने के कारण महंगाई बढ़ेगी और इसका सीधा असर आम जनता, आम उपभोक्ता पर पड़ेगा. झारखंड में धान के मूल्य में वृद्धि होगी जिससे हमारे यहां चावल के मूल्य हमारे पड़ोसी राज्य बिहार, बंगाल और उड़ीसा, छत्तीसगढ़ के मुकाबले अधिक हो जाएगा. इन प्रतिकूल परिस्थितियों में यहां चावल का व्यापार अन्य राज्यों में स्थानांतरण होने लगेगा. जिसका सीधा असर राज्य की जनता के साथ-साथ जामताड़ा की जनता पर भी होगा. पूर्व की सरकार ने कृषि उपज पशुधन विपणन नामक काले कानून को औचित्यहीन बताते हुए रद्द कर दिया था. झारखंड सरकार इस बिल को तुरंत रद्द करते हुए वापस नहीं लेती है तो आने वाले दिनों में इस बार लाखों झारखंड के व्यापारी उग्र आंदोलन को विवश होंगे. साथ ही साथ इस बार के विधानसभा के चुनाव में झारखंड के सभी व्यापारी एवं उनके परिवार और उनके प्रतिष्ठान में काम करने वाले कामगार कांग्रेस पार्टी के किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने का काम करेंगे. इस मौके पर पूर्व चेंबर अध्यक्ष मिंटू अग्रवाल, टिंकू डोकानिया, आनंद दास, विजय वैद्य, मनोज जायसवाल, संजय अग्रवाल, अरविंद मंडल, दिलीप जटिया, गोपाल सिंह, संजय दालान, अजीत लच्छीरामका सहित जिले भर से चेंबर के सदस्य उपस्थित थे.
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