धनबाद: वर्तमान समय में ट्रांसजेंडर समुदाय को कई तरह के सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता का अधिकार ट्रांसजेंडरों को यह अधिकार देता है कि लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है. ये बातें धनबाद के अवर न्यायाधीश सह डालसा सचिव राकेश रोशन ने शुक्रवार को जामाडोबा में ट्रांसजेंडरों को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन ने अपने एक फैसले में कहा था कि, शायद ही कभी हमारा समाज ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के आघात, पीड़ा और दर्द को महसूस करता है. न ही लोग ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों की सहज भावनाओं की सराहना करते हैं. खासकर उन लोगों की जिनका मन और शरीर उनके जैविक लिंग को स्वीकार करने से इनकार कर देता है. दरअसल, झालसा के निर्देश पर अवर न्यायाधीश राकेश रोशन, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के उप प्रमुख अजय कुमार भट्ट, सहायक शैलेंद्र झा ट्रांसजेंडरों के बीच पहुंचे. उन्हें उनके हक और अधिकार के बारे में जानकारी दी.
एससी के फैसले से मिला अधिकार
लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के उप प्रमुख अजय कुमार भट्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडरों की दयनीय स्थिति को दूर करने के लिए 15 अप्रैल 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडरों को भारतीय कानून में ‘तीसरा लिंग’ घोषित किया था. ट्रांसजेंडरों के लिए यह सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला था. इस फैसले से पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘तीसरे लिंग’ के रूप में मान्यता मिली. सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला ट्रांसजेंडर समुदायों को संविधान के मूल अधिकार प्रदान करता है. सहायक अधिवक्ता शैलेंद्र झा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद ट्रांसजेंडरों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का लाभ मिला. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों से पूरे भारत में ट्रांसजेंडरों को चिकित्सा, सामाजिक और शैक्षिक लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.
ट्रांसजेंडरों के लिए बने पब्लिक टॉयलेट
श्वेता किन्नर ने कहा कि वर्तमान में उनके लिए सबसे बड़ी समस्या सार्वजनिक स्थानों पर शौचालयों की कमी है, जो उनके उपहास का कारण भी बनती है. शैक्षणिक रूप से उन्हें स्कूल और यूनिवर्सिटी में समान अवसर नहीं मिलते, न ही स्कूलों में पुरुष और महिला शौचालय के साथ ट्रांसजेंडर शौचालय और न ही टॉयलेट की व्यवस्था है. चिकित्सा सुविधा के नाम पर ट्रांसजेंडरों के लिए संसाधनों का भी अभाव है. न्यायाधीश ने आश्वासन दिया कि धनबाद में रहने वाले ट्रांसजेंडरों को जल्द ही पहचान पत्र (टीजे कार्ड) और स्माइल योजना का लाभ दिया जाएगा. मौके पर चाम चाम किन्नर, निर्मला किन्नर, श्वेता किन्नर, राखी किन्नर, अरुणा किन्नर, रेखा किन्नर, पीएलवी, राजेश सिंह, दीपेंदी गुप्ता, मधुकर प्रसाद, महेश्वर प्रसाद, मिथलेश कुमार विश्वकर्मा समेत कुल 68 ट्रांसजेंडर और दर्जनों लोग मौजूद थे.