रांची : आए दिन ईडी, सीबीआई जैसे सरकारी तंत्र के जरिए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के प्रहरी पत्रकारों की अभिव्यक्ति की आजादी से रोकना एवं विपक्षी नेताओं को लगातार केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे हमले के विरोध में सोमवार को इंडिया गठबंधन दलों के नेताओं ने मार्च निकाला. यह मार्च जिला स्कूल परिसर से निकाला गया जो राजभवन तक गया. इसके बाद नेताओं का प्रतिनिमंडल राज्यपाल से मिला. इस दौरान झामुमो जिलाध्यक्ष मुशताक आलम, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष डॉ राकेश किरण महतो, सीपीआई के जिला सचिव अजय सिंह, आरजेडी के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र महतो, आप के प्रदेश उपाध्यक्ष हरि सिंह के संयुक्त नेतृत्व में राजभवन मार्च कर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को ज्ञापन सोंपा.
नेताओं ने राज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि न्यूजक्लिक पर लगे आरोपों को निरस्त कर के उसका सील खुलवाने या उसकी निष्पक्ष जांच कराने और जांच पूरी होने तक गिरफ्तार प्रबीर पुरकायस्थ और अन्य को अविलंब रिहा कराने और उन पर से यूएपीए हटाने का आदेश दिया जाए.
भाजपानित केंद्र सरकार की अब देश से विदाई का समय
नेताओं ने कहा कि अब भाजपानित केंद्र सरकार का विदाई का समय आ गया है इसलिए “खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे” वाली कहावत को चरितार्थ कर रही. राज्यपाल को सौपे गए ज्ञापन में कहा है कि सच बयान करने वाले ख्यातिप्राप्त चुनिंदा पत्रकारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ऊपर कल हुए हमले पर हम आम जनता जनता क्षुब्ध और चिंतित हैं. नेताओं ने कहा कि अमेरिकी पैसे को लेकर “न्यूजक्लिक” वेबसाइट द्वारा चीन की तरफदारी के मुद्दे पर बिना सर्च वारंट के अभिसार शर्मा, उर्मिलेश, भाषा सिंह आदि जैसे प्रमुख पत्रकारों, जो उक्त वेबसाइट से सिर्फ कंसल्टेंट के रूप में जुड़े हैं, के घर छापे मारना और उनको उठाकर स्पेशल सेल में घंटों दूसरे विषयों पर घंटों पूछताछ करना हमें और चिंतित करता है.
“आपने क्या किसान आंदोलन का कवरेज किया? आपने क्या शाहीन बाग का कवरेज किया? आपने क्या दिल्ली दंगों का कवरेज किया? जैसे सवाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जो कि हर एक नागरिक का मूल अधिकार है, का पूरी तरह से हनन करता है. यदि मीडिया से जुड़े लोग देश में घटित हो रही है मुख्य घटनाओं की कवरेज भी नहीं करेंगे तो फिर आम नागरिकों को वो सूचनाऐं या वो खबरें कैसे मिलेंगी?
क्या ये पत्रकार आतंकवादी हैं, जिन पर यूएपीए जैसे कानून थोपा
नेताओं ने कहा कि देसी कॉरपोरेट मीडिया अब ऐसी खबरें नागरिकों को उपलब्ध नहीं कराती है. स्वतंत्र मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार “न्यूजक्लिक” में जो भी विदेशी निवेश हुआ है, वह आरबीआई के गाइडलाइंस के हिसाब से ही हुआ है और उसमें कुछ भी गलत नहीं है. दिल्ली पुलिस व अन्य, जिन्होंने छापे मारे या पूछताछ की है, उन्होंने किसी विशेष न्यूज़, आपत्तिजनक न्यूज़ या ऐसा न्यूज़, जिससे चीन की तरफदारी साबित होती हो, उनके सामने पेश नहीं किया है. इसका मतलब स्पष्ट है कि सरकार सिर्फ उन्हें परेशान करने की या उनकी आवाज को बंद करने की नीयत से यह काम कर रही है, जैसा “न्यूजक्लिक” को सील करने और उसके संस्थापक प्रबीर और अन्य को गिरफ्तार कर के उनके खिलाफ यूएपीए जैसे कानून लगा दिए जाने से स्पष्ट होता है.
क्या ये पत्रकार आतंकवादी हैं, जिन पर यूएपीए जैसे कानून थोप दिए जाएं? जिन्हें जब चाहे, बिना सर्च वारंट के हिरासत में लिया जाए? ईडी, सीबीआई, आईटी उनके पीछे लगा दिया जाए? इंडिया गठबंधन के घटक दल और आम नागरिक चिंतित और उद्वेलित हैं. नेताओं ने कहा कि सरकारी एजेंसियों ईडी, सीबीआई और आईटी विभाग द्वारा सरकार के विरोध में आवाज उठाने वाले व्यक्तियों और विपक्ष के, विशेष कर इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसा कर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्हें जेल भेजा जा रहा है.
ये लोग थे शामिल
मौके पर सीपीआई के पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता, राज्य सचिव महेन्द्र पाठक, झामुमो के जिला सचिव डॉ हेमलाल कुमार मेहता हेमू, केन्द्रीय सदस्य समनुर मंसुरी, पूर्व केन्द्रीय सदस्य रामशरण विश्वकर्मा, पूर्व केन्द्रीय सदस्य अन्तु तिर्की, जिला उपाध्यक्ष अश्विनी शर्मा, जनक नायक, बीरू साहु, कलाम आजाद, रामानन्द बेदिया, आदिल इमाम, जुलफीकार खान, प्रदीप भोगता सुजीत उपाध्याय, कांग्रेस के संजय पासवान, चंद्र रश्मि अन्य मौजूद थे.