Joharlive Team
रांची। खूंटी जिला में पीएलएफआई रीजनल कमांडर जिदन गुड़िया के नाम से दहशत में रहने वाले ग्रामीण आज मुठभेड़ में जिदन के मारे जाने की सूचना के बाद से खुश है। वहीं, दूसरी ओर तापकारा के कोचा करंजटोली गांव में मातम का माहौल है। मृतक जिदन गुडिया के बड़े भाई पौंदे गुडिया ने बताया की जिदन बचपन में तापकारा के हाई स्कूल में पढ़ाई करता था। पढ़ाई पूरी करने के बाद खेतीबाड़ी करने लगा। फिर वह रनिया में टेलर का काम शुरू किया। अपने हांथों से ग्रामीणों के लिए कपड़े सिलाई करता था। मशीन पर जब उसके हांथ लगते थे, तो कुछ मिनट में कपड़े तैयार कर देता था।
जिससे ग्रामीणों की भीड़ उसके पास लगी रहती थी और यहीं कारण था कि ग्रामीण उसे पहचानने लगे थे। मगर, रनिया में रहने के दौरान जिदन गुड़िया आम जिंदगी जीना छोड़कर पीएलएफआई संगठन में जुड़ गया। जिस हांथ से वह मिनटों में कपड़े सिला करता था। आज उसी हांथ से छन सेकंडों में सैकड़ों गोलियां चलाया करता था। जिसका परिणाम आज हुआ कि वह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। मां-पिता के मौत होने के बाद भी जिदन घर नहीं आया था।
पुलिस के हाथों मारा गया पीएलएफआई कमांडर जीदन गुड़िया की गिनती कम उम्र में ही खूंखार उग्रवादियों में होने लगी थी। साल 2007 में झारखंड लिबरेशन टाइगर के पीएलएफआई में बदलने के बाद जीदन गुड़िया का नाम काफी तेजी से उभरा था। पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के बाद संगठन में दूसरे नंबर पर काबिज जीदन गुड़िया के खिलाफ 34 साल की उम्र में कुल 129 कांडों को अंजाम देने का आरोप था। रांची, खूंटी, चाईबासा में सक्रिय जीदन गुड़िया के खिलाफ 28 हत्याओं को अंजाम देने का आरोप है। साल 2007 में पीएलएफआई के गठन से लेकर उसे मजबूत बनाने तक में जीदन की अहम भूमिका थी। तपकरा इलाके में ग्रामीणों के बीच छोटी मोटी मदद पहुंचाने के कारण वो ग्रामीणों के बीच काफी लोकप्रिय भी था। ऐसे में कई बार पुलिस के गतिविधियों की सूचना जीदन गुड़िया को मिल जाती थी और वह पुलिस के हाथों बच निकलता था।
राजनीति में आने का शौख था जिदन गुड़िया को
जीदन गुड़िया को राजनीति में आने का शौख था। जीदन ने खुद फरार होने की वजह से अपनी पत्नी को राजनीति में आगे किया। इसके बाद पत्नी को मुखिया बनवाया। बाद में जिला परिषद चुनाव में भी जीदन गुड़िया ने अपनी पत्नी को उतारा। साल 2017 में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जीदन गुड़िया ने अपनी जॉनिका गुड़िया को निर्विरोध जिला परिषद सदस्य निर्वाचित कराया था।
हथियार की कमी होने पर खुद खोली फैक्टरी
पीएलएफआई के खिलाफ संगठन की दबिश लगातार बढ़ रही थी। संगठन के एके 47 समेत कई हथियार पुलिस ने जब्त किए थे। हथियारों की सप्लायी का नेटवर्क भी ध्वस्त होने लगा था। ऐसे में जीदन गुड़िया ने मुरहू में अवैध हथियार फैक्टरी खोल ली थी, जहां घातक हथियार स्वयं अपनी मॉनिटरिंग में बनावाता था।