रांची : झारखंड में तंदुरुस्ती का ख्याल कौन रखे. इस पर भी सवालिया निशान लग चुका है. राज्य में पहले से ही कुपोषण की समस्या बरकरार है. पौष्टिक आहार भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है. आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि राज्य में प्रति व्यक्ति सिर्फ 200 ग्राम ही दूध का उत्पादन होता है यानी एक पाव से भी कम. जो सेहत का ख्य़ाल रखने के हिसाब से काफी कम है। हैरान करने वाली बात यह है कि झारखंड में दूध की जरुरत पांच लाख लीटर प्रतिदिन है.

पड़ोसी राज्यों से आता है 3.77 लाख लीटर

झारखंड मिल्क फेडरेशन की मानें तो मेधा डेयरी करीब 1.25 लाख लीटर दूध की आपूर्ति करता है. बाकी 3.77 लाख लीटर दूध प्रतिदिन पड़ोसी राज्यों से आता है. वहीं, राज्य सरकार ने इस वर्ष दुग्ध उत्पादन का लक्ष्य 92,00,000 लीटर रखा है. जबकि पड़ोसी राज्य बिहार प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता के मामले में राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच गया है.

दुग्घ उत्पादन में झारखंड 16वें पायदान पर

पूरे देश में प्रति व्यक्ति 407 ग्राम दूध की प्रतिदिन उपलब्धता है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति 400 ग्राम प्रतिदिन की उपलब्धता मापी गई है. वहीं, झारखंड में यह आंकड़ा काफी नीचे हैं. झारखंड में प्रति व्यक्ति 200 ग्राम प्रतिदिन दूध मिलने का औसत है. रैंकिंग की बात करें तो अन्य राज्यों की तुलना में बिहार का स्थान नौवें नंबर पर है, वहीं झारखंड की रैंकिंग 16 वें नंबर है.

क्या है फैक्ट फाइल

1. दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता के मामले में देश में सबसे बेहतर व नंबर वन की स्थिति उत्तर प्रदेश की है. यूपी में दूध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 1200 ग्राम प्रतिदिन से अधिक है.
2. दूसरे नंबर पर राजस्थान प्रति व्यक्ति 1000 ग्राम प्रतिदिन
3. तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश करीब प्रति व्यक्ति 700 ग्राम प्रतिदिन,
4. चौथे नंबर पर गुजरात और आंध्र प्रदेश प्रति व्यक्ति 600 ग्राम प्रतिदिन से अधिक
5. पांचवें नंबर पर पंजाब में प्रति व्यक्ति 500 ग्राम प्रतिदिन के लगभग है.
6. सबसे नीचे असम की स्थिति है. यहां प्रति व्यक्ति 50 ग्राम प्रतिदिन के लगभग है.

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