सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार होली है। यह सभी जाति धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाता है। इसके इंतज़ार सालोभर होता है। यह पवन पर्व 17 मार्च गुरुवार को है। गुरुवार का दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित माना गया है। इस दिन गुरु ग्रह की दृष्टि संबंध चंद्रमा से होने से गजकेसरी योग का निर्माण होगा। इसके साथ ही वरिष्ठ व केदार योग भी बनेंगे। ज्योतिषाचार्यों प्रणव मिश्रा के अनुसार, होलिका दहन पर ये तीन शुभ योग पहली बार बनने जा रहे हैं। होलिका दहन पर ग्रहों की स्थिति से शत्रुओं पर विजय व रोगों से मुक्ति मिलेगी।
इस साल होलिका दहन का त्योहार 17 मार्च को होगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस बार होलिका दहन में भाद्रा का साया भी रहेगा। ऐसे में जानिए होलिका दहन का सही मुहूर्त और पूजा विधि।
निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। लेकिन भद्रा पुच्छ के समय होलिका दहन किया जा सकता है। इसलिए रात एक बजे से होलिका दहन करना उचित रहेगा। इससे भद्रा को दोष कम लगेगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 मार्च दोपहर 1 बजकर 03 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक
भद्रा- 17 मार्च की दोपहर 1 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
भद्रा के पुच्छ काल- रात 9 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट।
होलिका दहन के दिन बन रहे हैं खास योग
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन के दिन काफी खास योग बन रहे हैं। इन योगों का असर जातकों को ऊपर अच्छा होगा। इस दिन अभिजीत, अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और धुव्र योग आदि योग बन रहे हैं।
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका दहन से पहले होलिका माई की पूजा करने का विधान है। होलिका दहन के दिन सूर्योदय के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका दहन वाले स्थान पर जाएं। इसके बाद पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना,चना आदि एक-एक करके अर्पित कर दें, साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी कर लें। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।
इस साल होली पर वृद्धि योग, अमृत सिद्धि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग में किए गए कार्यों से लाभ प्राप्त होने की मान्यता है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग में कार्यों से पुण्य प्राप्त होता है। ध्रुव योग से चंद्रमा और सभी राशियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा होली पर इस साल बुध-गुरु की युति से आदित्य योग का भी निर्माण हो रहा है।