रांची में रावण दहन की शुरुआत 1948 में की गई. आज से 75 वर्ष पूर्व आयोजकों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक छोटा सा आयोजन आज रांची के लोगों के बीच एक विशाल आयोजन का रूप ले लेगा. पश्चिमी पाकिस्तान नोर्थ वेस्ट फ्रंटियर के कबायली इलाके बन्नु शहर से रिफ्यूजी बन कर रांची पधारे 10-12 परिवार ने रावण दहन के रूप में अपना सबसे बड़ा पर्व दशहरा मनाया. एक कसक थी स्व. लाला खिलंदा राम भाटिया को जो बन्नुवाल रिफ्यूजियो के मुखिया थे. तब के डिग्री कालेज (बाद में रांची कालेज,मेन रोड डाकघर के सामने) के प्रांगण में 12 फीट के रावण का निर्माण स्व लाला मनोहर लाल नागपाल,स्व. कृष्ण लाल नागपाल,स्व.अमिर चन्द सतीजा,स्व.टहल राम मिनोचा व शादीराम भाटिया एवम् स्व.किशन लाल शर्मा के खुद के हाथो द्वारा किया गया.
रांची में दशहरा दूर्गा पूजा की तरह मनाया जाता था, पहली बार आसपास के लोगों ने रावण दहन देखा. रावण दहन के दिन गाजे बाजे पंजाबी तथा कबायली ढोल नगाड़े के बीच 3-4 सौ लोगों के बीच शाम को रावण में अग्नि प्रज्जवलित की गई. यहां एक बात बतानी आवश्यक होगी कि रांची सहित पंजाब के तमाम शहरों में रावण का मुखौटा गघे का होता था पर 1953 के बाद रावण के पुतले का मेन मुखौटा मानव मुख का बनने लगा. वर्ष 1949 तक रावण के पुतले का निर्माण वहीं मेन रोड स्थित डिग्री कालेज के बरामदे में हुआ.
बन्नू वाले समाज ने तब निर्णय लिया कि रावण बनाने में जगह छोटा पड़ता है. पुतला की लम्बाई 12 से 20 फीट कर दी गई. उधर 1950 से 1955 तक रावण के पुतले का निर्माण रेलवे स्टेशन स्थित खजुरिया तलाब के पास रेस्ट कैमरा (रिफ्यूजी कैंप) में होने लगा. रावण के पुतले की लम्बाई अब 50-60 फीट तक पहुंच गई. निर्माण का सारा खर्च स्व. मनोहर लाल,स्व. टेहल राम मिनोचा तथा स्व. अमीर चंद सतीजा के द्वारा किया गया. इस बीच लाला खलिदा राम भाटिया का निधन हो गया था. मेरे पिताजी स्व. अशोक नागपाल का शौक था तब उन्हें भी रावण के ढांचे पर लेई लगाकर पुराने अखबार साटने का काम सौंपा गया तथा यह बताना जरूरी है कि लगभग 10-12 वर्षों तक स्व. अशोक नागपाल खुद अपने हाथों से रावण के पुतले का निर्माण किया करते थे.
1950 से लेकर 1955 तक रावण के पुतले का दहन बारी पार्क (शिफटन पेविलियन टाउन हॉल) में होने लगा ऐसा भीड़ बढ़ने के कारण यहां भीड़ 25 से 40 हजार तक होती थी. रंगारंग नाच-गान तथा रावण के मुखौटे की पुजा कर रावण दहन होता था. इधर साल दर साल रावण दहन का खर्च बढ़ता गया तथा बन्नू समाज ने इस आयोजन की कमान पंजाबी हिन्दु बिरादरी को सौंप दी.
रांची बढ़ती गई दुर्गा पूजा की तरह रावण दहन का क्रेज भी बढ़ गया. पंजाबी हिन्दु बिरादरी के लाला देशराज, लाला कश्मीरी लाल, लाला केएल खन्ना, लाला धीमान, लाला राधाकृष्ण विरमानी, भगवान दास आनन्द, रामस्वरूप शर्मा, मेहता मदन लाल ने जब पंजाबी हिन्दु बिरादरी का कमान संभाली तो इन लोगों ने रावण का निर्माण डोरंडा राम मंदिर में करवाने लगे.
रावण दहन के लिए राजभवन के सामने वाले मैदान (नक्षत्र वन) में लगातार 2 वर्षों तक किया. समय के साथ भीड़ बढ़ने के कारण आयोजकों ने रावण दहन का कार्यक्रम मोरहाबादी में करना उपयुक्त समझा जो 1960 से आजतक यही हो रहा है. पंजाबी हिन्दु बिरादरी के आयोजकों ने मेघनाथ तथा कुंभकर्ण के पुतले का भी निर्माण करवाया जो आज तक जारी है.
Road Accident : बिहार के गया जिले के अतरी थाना क्षेत्र से एक दर्दनाक खबर…
SEEMA KHANDELWAL : झारखंड का गुमला जिला, जो आदिवासी बहुल और पिछड़ा इलाका होने के…
Champions Trophy 2025 : पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने चैंपियंस…
रांची : झारखंड के रांची से बड़ी खबर आ रही है, जहां रेलवे ने चक्रधरपुर…
हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग जिले से सनसनीखेज खबर आ रही है, जहां बेखौफ अपराधियों…
Massive Fire in Bike Stand : बिजली के तार से गिरी चिंगारी और लग गई…
This website uses cookies.