पाकुड़ : हिन्दी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत और एकता का प्रतीक भी है. नई शिक्षा नीति में हिंदी और संस्कृत भाषा पर विशेष महत्व दिया गया है. अंग्रेजी भाषा के साथ हिंदी का ज्ञान भी अत्यंत आवश्यक है. यह हमारी मातृभाषा एवं राजभाषा है. ये बातें डीएवी स्कूल पाकुड़ के प्राचार्य डॉ विश्वदीप चक्रवर्ती ने कहीं. वह स्कूल में आयोजित हिन्दी दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद स्कूली बच्चों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी के साथ 22 भाषाओं को शामिल किया गया है.

भाषण में दिखी बच्चों की विलक्षण प्रतिभा

इससे पहले प्राचार्य व विशिष्ट अतिथि सह हिंदी के प्राध्यापक अमरेंद्र कुमार सिन्हा द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. इस उपलक्ष्य पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा भाषण, कविता, वाद विवाद एवं हिंदी संगोष्ठी का आयोजन किया गया. प्राचार्य ने कहा कि हिंदी भाषा कौशल को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कार्यशाला एवं सेमिनार का आयोजन किया जाता है.

क्या है हिन्दी दिवस का इतिहास

विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राध्यापक अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 14 सितंबर 1949 को हिंदी को औपचारिक भाषा का दर्जा दिया गया था. उसके बाद से ही भाषा के विस्तार और लोगों को इसका महत्व समझाने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है. इस विशेष अवसर पर बच्चों के बीच हिंदी प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया एवं विजेताओं को प्राचार्य तथा अतिथियों के द्वारा सम्मानित किया गया.

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