रांची. रांची में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने को लेकर आज झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ही उचित फैसला ले. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार अगर रथ यात्रा निकालने को लेकर कोई फैसला लेती है तो उस दौरान सुप्रीम कोर्ट के पुरी में रथ यात्रा निकालने को लेकर दिए गए गाइडलाइंस का पालन किया जाए. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से ही इस पर फैसला लिया जाना चाहिए.
रांची में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की परंपरा 300 साल से चली आ रही है. दरअसल पिछले साल 2020 में भी कोरोना संक्रमण की वजह से रांची में रथयात्रा नहीं निकाली गई थी. 12 जुलाई को इस बार भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलभद्र और माता सुभद्रा की रथयात्रा निकालने की तारीख है. लेकिन संक्रमण की वजह से सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत किसी भी तरह के मेले या भीड़भाड़ के आयोजन पर पाबंदी लगा रखी है
सरकार को लेना है फैसला
पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि अब रथ यात्रा को लेकर कोई भी उचित फैसला राज्य सरकार को ही लेना है और अगर रथयात्रा निकालने का फैसला राज्य सरकार लेती है तो उसके स्वरूप को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन करना अनिवार्य होगा. बता दें कि 5 जुलाई को जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति की ओर से हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर पूजा के संक्षिप्त स्वरूप की अनुमति मांगी गई थी.
याचिका में कहा गया था कि रथयात्रा और मेला जैसी कोई चीज इस बार संक्रमण को देखते हुए नहीं निकाली जाएगी. बस 101 लोग पूजा की परंपरा का निर्वहन करते हुए भगवान जगन्नाथ बलभद्र और माता सुभद्रा को लेकर जगन्नाथपुर मंदिर से मौसीबाड़ी तक ले जाकर परंपरा का निर्वहन करेंगे. वहीं, मौसीबाड़ी में रंग रंग रोगन का काम शुरू हो चुका है. हालांकि मंदिर की साफ-सफाई और रंगाई पुताई का मेले और रथयात्रा से कोई मतलब नहीं है. यह हर साल होने वाली परंपरा का एक हिस्सा भर है.