रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने करोड़ों रुपये की ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सजायाफ्ता गणेश मंडल, संतोष मंडल और अंकुश कुमार मंडल की सजा के खिलाफ दायर क्रिमिनल अपील पर सुनवाई करते हुए सशर्त जमानत प्रदान की है. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सजा को निलंबित करते हुए जमानत मंजूर की.
जमानत की शर्तें
कोर्ट ने निर्देश दिया कि तीनों अभियुक्त हर महीने संबंधित थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे. साथ ही, उनका जमानतदार उसी जिले का होगा, जिसकी उस क्षेत्र में अचल संपत्ति हो. कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यह छूट दी है कि अगर ये अभियुक्त फिर से किसी साइबर अपराध में संलिप्त पाए जाते हैं, तो ईडी जमानत खारिज करने के लिए अदालत का रुख कर सकती है.
क्या है मामला?
बता दें कि यह मामला जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के मिरगा गांव के पांच अभियुक्तों- गणेश मंडल, संतोष मंडल, प्रदीप मंडल, पिंटू मंडल और अंकुश कुमार मंडल से जुड़ा है. इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी पते पर सिम कार्ड लेकर, बैंक अधिकारी बनकर कॉल के जरिए साइबर ठगी की. मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छह अगस्त 2018 को पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था. जांच पूरी कर 27 मई 2019 को ईडी ने पांचों अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. 13 दिसंबर 2019 को विशेष पीएमएलए अदालत ने आरोप तय किए थे.
अदालत का फैसला
जुलाई 2024 में रांची के पीएमएलए की विशेष अदालत ने इन पांचों आरोपियों को 5-5 साल की सश्रम कैद और ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस फैसले को गणेश मंडल और संतोष मंडल ने झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार ने पक्ष रखा, जबकि ईडी की ओर से अधिवक्ता ए.के. दास और सौरव कुमार ने पैरवी की. ईडी ने मामले में 24 गवाह और कई दस्तावेज पेश किए थे, जो साइबर अपराध में मनी लॉन्ड्रिंग के उपयोग की पुष्टि करते हैं. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अभियुक्तों को सशर्त जमानत दी. कोर्ट ने ईडी को सतर्क रहने और अभियुक्तों की गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश दिया है.