रांची : राजधानी में अब करीब 70 करोड की प्रोपर्टी को झाडिय़ों में सड़ाने की तैयारी चल रही है. बल्कि यूं कहना गलत न होगा कि करोड़ों की प्रॉपर्टी को बर्बाद कर दिया गया. जी हां, हम बात कर रहे है, सिटी में आम पब्लिक की सुविधा के लिए लाई गईं हाई टेक्नोलॉजी से लैस करीब 200 एंबुलेंस बसों की. इन्हें नामकुम स्थित एनएचएम कैंपस में ऐसे ही छोड़ दिया गया है. अभी तो इन एंबुलेंस के इर्द-गिर्द झाडिय़ां उगी हैं लेकिन ये एंबुलेंस ऐसी ही पड़ी रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब इन पर भी झाडिय़ां उग आएं. जानकारी के मुताबिक, करीब 70 करोड़ की लागत से स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने के उददेश्य से 206 एंबुलेंस बसें खरीदी गई थीं, लेकिन इनका इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है.
हैंडओवर ही नहीं हुईं
समय पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने वाली इन हाईटेक एंबुलेंस की हालत देख ऐसा लग रहा है जैसे ये एंबुलेंस खुद ही आईसीयू में हों. ये सभी एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस हैं. इनमें गोल्डेन आवर में मरीजों को बेहतर हेल्थ फैसिलिटीज देने की भी व्यवस्था है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इन्हें अबतक हैंड ओवर ही नहीं लिया गया है. इसके पीछे की वजह चाहे जो कुछ भी रही हो लेकिन आम पब्लिक के टैक्स के पैसे से खरीदी गई इस प्रॉपर्टी की सेवा उन्हें ही नहीं मिल पा रही है. इन एंबुलेंस की खरीदारी स्वास्थ्य विभाग ने की है. लेकिन इसका संचालन एनएचएम को करना है. विभाग द्वारा अबतक इसे एनएचएम को हैंडओवर नहीं किया गया है. सरकारी उदासीनता की वजह से एंबुलेंस इस स्थान पर खड़ी-खड़ी बर्बाद हो रही हैं.
इंदौर से लाई गई हैं
झारखंड में साल 2017 से फ्री एंबुलेंस सर्विस उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए 108 नंबर जारी किया गया है. जिस पर संपर्क करने पर एंबुलेंस निर्धारित स्थान पर आ जाती है. यह सर्विस जिग्तिजा प्राइवेट लि. संभाल रही है. इसी सर्विस को और ज्यादा बेहतर बनाने के लिए हाईटेक एंबुलेंस की खरीदारी की गई है. इन एंबुलेंस को मध्यप्रदेश के इंदौर से रांची लाया गया है. बीते पांच महीने से एंबुलेंस एनएचएम परिसर में ऐसे ही खड़ी हैं. राज्य स्थापना दिवस यानी की 15 नवंबर को इसे हैंडओवर करने की योजना तो बनी, लेकिन इसपर पहल ही नहीं की गई.
दो साल पहले खरीदारी का निर्णय
हाईटेक एंबुलेंस खरीदने का निर्णय दो साल पहले ही लिया गया था. अब हैंडओवर के इंतजार में समय धीरे-धीरे निकलता जा रहा है. साल 2020-21 में स्वास्थ्य विभाग ने 117 एंबुलेंस खरीदने की प्रक्रिया शुरू की. इसमें बेसिक लाइफ सपोर्ट की 91 और एडवांस लाइफ सपोर्ट की 26 एंबुलेंस खरीदने की योजना थी. जबकि अन्य 89 एंबुलेंस में एडवांस लाइफ सपोर्ट की 25 एंबुलेंस, बेसिक लाइफ सपोर्ट 40 और बच्चों के लिए एडवांस लाइफ सपोर्ट की 24 एंबुलेंस खरीदने की योजना बनाई गई थी.
बीमार होने लगीं एंबुलेंस
108 सर्विस की एंबुलेंस खुद ही बीमार होने लगी हैं. काफी साल पुरानी होने और लगातार चलने से इनकी स्थिति बिगडऩे लगी है. ऐसी भी तस्वीर सामने आ रही है, जिसमें मरीज के परिजन एंबुलेंस को धक्का मारते नजर आते हैं. सिर्फ सिटी ही नहीं, बल्कि सुदूर इलाकों में भी मरीजों को लेने एंबुलेंस पहुंचती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में एंबुुलेंस को धक्का देकर स्टार्ट करना पड़ रहा है. कुछ दिनों पहले ही लापुंग से ऐसी ही तस्वीर सामने आई थी. जिसमें मरीज के परिजन एंबुलेंस को धक्का देकर स्टार्ट करते दिखे. वहीं एंबुलेंस के अंदर की सभी स्वास्थ्य इक्विपमेंट्स भी खराब हो चुके थे. आलम यह है कि एंबुलेंस में मरीजों को बैठने में भी डर लगने लगता है. अब तक एंबुलेंस को हैंड ओवर नहीं किया गया है. जब तक हैंडओवर नहीं किया जाएगा गाड़ी खड़ी रखना मजबूरी है.