रांची : हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट ने झारखण्ड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार शहरी निकायों के चुने हुए मेयर या डिप्टी मेयर को हटाने का अधिकार सीएम को है। इतना ही नहीं अब नगर निकायों के डिप्टी मेयर का चुनाव पार्षद करेंगे, पहले डिप्टी मेयर भी जनता के वोट से ही चुने जाते थे। इसे शहरी निकायों पर राज्य सरकार के कंट्रोल के रुप में देखा जा रहा है।
झारखण्ड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 के मुताबिक शहरों के निकाय चुनाव अब दलगत आधार पर नहीं होंगे। अब अगर कोई चुनाव लड़ना चाहता है तो चुनाव आयोग उन्हे सिंबल अलॉट करेगा। इसके अलावा डिप्टी मेयर और उपाध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षद बहुमत के आधार पर करेंगे ।
राजनीतिक विष्लेषक बताते हैं कि कैबिनेट के इस फैसले के दूरगामी प्रभाव होंगे और इसका विरोध तय है। झारखण्ड के शहरी क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत रही है। अधिकांश शहरी निकायों पर बीजेपी या बीजेपी समर्थित लोग ही मेयर या डिप्टी मेयर के पद पर हैं। ऐसे में झामुमो इस वर्चस्व को तोड़ना चाहता है। इसलिए उसने दलगत आधार पर चुनाव न कराने और मेयर तथा डिप्टी मेयर (अथवा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष) को हटाने का अधिकार सीएम के हाथों में देने जैसा कदम उठाया है।
इन पांच परिस्तितियों में सीएम मेयर-डिप्टी मेयर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को हटा सकते हैं
- मेयर और नगर निकाय के अध्यक्ष अगर बोर्ड की तीन से अधिक बैठकों में बिना पर्याप्त कारण बताये अनुपस्थित रहते हैं.
- मेयर अगर अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही करते हैं या जानबूझकर कर कर्तव्य से इनकार करते हैं
- किसी प्रकार के कदाचार के दोषी पाये जाते हैं
- शारीरिक अथवा मानसिक तौर पर अक्षम पाये जाते हैं
- किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त होने के चलते छह माह से अधिक समय से फरार रहने के दोषी हों.
कैबिनेट द्वारा पारित विधेयक के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा हटाये गये महापौर या अध्यक्ष उस कार्यकाल में शेष अवधि के दौरान पुनः इस पद पर निर्वाचित नहीं हो सकेंगे ।