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  • विस्थापन और लाल पानी की समस्या कांग्रेस की देन : रघुवर

रांची/जमशेदपुर । पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रूख की आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार विस्थापन और पुनर्वास के बहाने ऐन-केन-प्रकारेण खदान नीलामी में व्यवधान डाल रही है, यह बेमानी है। उन्होंने कहा कि नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता है। यह नीलामी ऑनलाईन की जायगी और कहीं से भी कोई ऑनलाईन ऑक्शन में भाग ले सकता है। वर्तमान नीलामी से राज्य को काफी राजस्व की प्राप्ति होगी, जिससे राज्य का विकास किया जा सकेगा।
    श्री दास ने कहा कि कोल ब्लॉक नीलामी को लेकर मुख्यमंत्री स्वयं परस्पर विरोधाभासी बयान देते रहे हैं। पहले कोरोना महामारी की बात कर तत्काल इस प्रक्रिया रोकने की आग्रह करते हैं और फिर इस मुद्दे पर झारखंड के सामाजिक और पर्यावर्णीय ढांचा को नुकसान पहुंचाने का बहाना कर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली जाती है। यह सीधे-सीधे राज्य सरकार का विकास विरोधी कदम है, तथ्यों की अनदेखी करना है, सच्चाई से मुंह मोडऩा है। 
    उन्होंने कहा है कि जिस कांग्रेस की वैसाखी पर वर्तमान राज्य सरकार चल रही है, विस्थापन और पुनर्वास, लाल पानी, काला पानी की समस्या उसी कांग्रेस की देन है। राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री कोल ब्लॉक को लेकर जो प्रतिक्रिया दे रहे हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें तथ्यों की जानकारी या तो नहीं है अथवा केंद्र सरकार से टकराव का बहाना खोज रहे हैं। उन्होंने कहा है कि कोयला खदानों से हुए विस्थापितों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं होना, अधिकारों से वंचित किया जाना, यहां के लोगों का लाल पानी व काला पानी पीने के लिए मजबूर होना, केंद्र व राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की देन है। पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र व राज्य की त्रृटिपूर्ण नीतियों को देखते हुए उनके नेतृत्व में बनी पूर्ववर्ती सरकार ने एचईसी, बोकारो स्टील प्लांट, सीसीएल आदि को आवंटित जमीन का पट्टा देने की शुरूआत की थी। इसके पहले किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा डिस्ट्रिक माइनिंग फंड में झारखंड को हर साल 1000 से 1200 करोड़ तक की राशि भेजी जाती है। इस राशि से मेरे नेतृत्व में गठित पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने पूरी राशि पेयजल के लिए पाईप लाईन बिछाने में लगायी है, जिससे धनबाद, बोकारो, रामगढ़, चाईबासा, गोड्डा आदि क्षेत्रों में जलापूर्ति योजना पर काम जारी है।
    उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू किए जाने को राज्य हित में बताते हुए कहा है कि वर्तमान में देश में 730 मिलियन टन (यानी 73 करोड़ टन) कोयला का उत्पादन हो रहा है और लगभग 240 मिलियन टन (यानी 24 करोड़ टन) कोयला का आयात हो रहा है।    देश में उत्पादित कोयला का 85 प्रतिशत उत्पादन कोल इंडिया लि. (सीआईएल) द्वारा किया जाता है। सीआईएल द्वारा लगभग 430 माइंस संचालन किया जाता है। इसके अलावा काफी कोयला उपलब्ध है, जिसका खनन सीसीएल द्वारा 50 वर्ष से नहीं किया गया है। अब इन्हीं छोड़े हुए कोयला ब्लॉक को निजी क्षेत्र द्वारा खनन हेतु खोला गया है।
    श्री दास ने जलवायु परिवर्तन पर संपन्न पेरिस एग्रीमेंट की चर्चा करते हुए कहा है कि इस एग्रीमेंट के तहत भारत को 2030 तक ऊर्जा उत्पादन का 40 प्रतिशत नन फोर्सिंग फ्यूल से करना है, जिसके लिए सौर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में सीसीएल द्वारा 2030 तक छूटे हुए कोल ब्लॉक का खनन नहीं हो पायेगा। चूंकि आने वाले वर्षों में कोयला की आवश्यकता कम हो जायेगी और बचे हुए कोयला का कुछ वर्षों तक कोई उपयोगिता नहीं रह जायेगी। ऐसे में यह आवश्यक है कि निजी क्षेत्र के माध्यम से कोयला खनन कर वर्तमान के कोयला आयात को कम किया जाए।
    उन्होंने कोयला ब्लॉक की नीलामी से राज्य सरकार को होने वाले लाभ की चर्चा करते हुए कहा कि कोल ब्लॉक की नीलामी की प्रथम चरण में पूरे देश में 41 कोल ब्लॉक की नीलामी की जा रही है, जिनमें 12 माइंस हैं। कोयला ब्लॉक की नीलामी में जो राशि प्राप्त होगी, वह राज्य सरकार को मिलेगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्तमान नीलामी प्रक्रिया की चर्चा करते हुए कहा कि यह ऑक्सन राजस्व साझेदारी के अनुसार किया जा रहा है, इसलिए निजी कंपनी को कोयला की बिक्री से जो राशि प्राप्त होगी उसका कुछ प्रतिशत (जो ऑक्सन से डिसाइड होगा) नियमित रूप से राज्य सरकार को मिलेगी। इससे माइंस को लगभग 10 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। यह राशि रायल्टी एवं डिस्ट्रिक मिनरल फंड में मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होगी।

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