Joharlive Desk
नई दिल्ली, 04 नवम्बर । सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की नौ कोयला खदानों की नीलामी के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई 6 नवम्बर तक के लिए टाल दी है। कोर्ट ने जंगल में खनन से पर्यावरण को नुकसान के आकलन के लिए कमेटी बनाने की बात कही। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ऐसा न करने का अनुरोध किया है। अटार्नी जनरल ने कहा कि वह पर्यावरण चिंताओं पर सुप्रीम कोर्ट को संतुष्ट करेंगे।
पहले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि केंद्र ने झारखंड सरकार से सलाह लिए बिना ही एकतरफा घोषणा की है। केंद्र के इस फैसले से पर्यावरण को नुकसान होने के अलावा आदिवासियों पर भी असर होगा।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार उसकी सीमा के भीतर स्थित इन खदानों और खनिज संपदा की मालिक है। याचिका में 5 और 23 फरवरी की बैठकों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि केंद्र ने राज्य सरकार की ओर से दर्ज कराई गई आपत्तियों पर विचार नहीं किया। याचिका में संविधान की पांचवी अनुसूची का जिक्र करते हुए कहा गया है कि झारखंड में नौ कोयला खदानों में से छह को नीलामी के लिए रखा गया है। ये सभी पांचवी अनुसूची के इलाके में हैं। याचिका में कहा गया है कि झारखंड में 29.4 फीसदी वन क्षेत्र है और नीलामी के लिए रखी गई कोयला खदानें वन भूमि पर हैं।