रांचीः झारखंड में खान आवंटन और शेल कंपनियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले पर जो जनहित मामले लंबित है। हाईकोर्ट इन याचिकाओं की योग्यता की जांच करे। सुप्रीम कोर्ट ने कि न्यायालय हाईकोर्ट में दर्ज याचिका की वैधता पर फैसला नहीं ले सकती है। न्यायमूर्ति जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ और जस्टिस एम बेला राजेश की खंडपीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट से याचिका की मेंटेनिबिलिटी पर फैसला लेने को कहेंगे। कोर्ट इसमें अपनी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, हम इन सबके बीच में नहीं आएंगे। हम सिर्फ़ याचिका की वैधता पर सुनवाई कार रहे है। झारखंड हाईकोर्ट पहले याचिका की वैधता तय करे, फिर सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट में खान आवंटन और शेल कंपनी मामले पर मंगलवार को सुनवाई शुरू हुई। इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट में शिवशंकर शर्मा की दर्ज दो याचिका की वैधता नहीं है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाये। सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि शिवशंकर शर्मा की याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज करने का आदेश दे। इस पर कोर्ट ने कहा कि हेमंत सोरेन पिटिशनर नहीं है। इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को आदेश दिया कि सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाओं की विश्वसनीयता की जांच कर ले।

जिरह के दौरान सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा की प्रवर्तन निदेशालय खान आवंटन और शेल कंपनियों समेत मनरेगा घोटाले की अपनी स्तर से जांच कर रहा है. यह जांच विशेष अपराध की श्रेणी के तहत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें दूसरे अपराध से संबंधित सामग्री मिलती है, इडी की जांच में पहली नजर में पाया है कि मामले में झारखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी (आइएएस स्तर) के शामिल हैं, हम इसे अदालत के सामने रख सकते हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस को नहीं दे सकते क्योंकि यह न्याय का मजाक होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि ईडी जांच करने को स्वतंत्र है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 2007-08 से 2011-12 के बीच में मनरेगा घोटाला हुआ है। इसमें 18 करोड़ रुपये का अग्रिम एक निलंबित कनीय अभियंता को दे दिया गया था। इसके बाद सरकारी पैसे की मनी लाउंड्रिंग की गयी। मामले को लेकर खूंटी जिला और चतरा जिले में 16 प्राथमिकी दर्ज हुई थी, 2014 में मनी लाउंड्रिंग और सरकारी धन के दुरुपयोग के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था। मनरेगा के तहत दर्ज हुआ था। धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने छह मई को आइएएस पूजा सिंघल के 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद से ईडी की जांच लगातार जारी है। ईडी को इस संबंध में अहम दस्तावेज़ मिले, यह दस्तावेज इस लिए अहम है क्योंकि पूजा सिंघल खान एवं भूतत्व विभाग और उद्योग सचिव भी। ईडी ने अपनी रेड में बहुत सारे दस्तावेज़ मिले है जिससे पता चलता है कि राजनेताओं को फायदा पहुंचाया गया है दस्तावेज़ में 32 शेल कंपनियों की जानकारी भी दी गयी है। इन कंपनियों के बारे में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी से भी ब्योरा मंगाया गया है, जिसे हाईकोर्ट में दाखिल किया जा चुका है।

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