रांची: गोड्डा संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की एमबीए डिग्री को फर्जी बता कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था. जिसे निरस्त करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सांसद को पहले दिए गए अंतरिम राहत को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है. फिलहाल सांसद को राहत जारी है.

निशिकांत दुबे की फर्जी डिग्री मामले में निर्वाचन आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया है. निर्वाचन आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि सांसद निशिकांत दुबे पर जो आरोप लगाया गया है. उसकी जांच की गई. उसमें सांसद पर किसी भी प्रकार का दोष सिद्ध नहीं होता है. मामले की विस्तृत सुनवाई 13 जनवरी जनवरी को होगी.

झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में निशिकांत दुबे की फर्जी डिग्री मामले पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सांसद पर लगाए गए आरोप निराधार और मनगढ़ंत हैं. राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह का आरोप लगाया गया है. मामले में जानबूझकर सरकार समय ले रही है.

बार-बार जवाब के लिए समय की मांग की जा रही है. यह गलत है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने जानकारी दी है कि मामले के अधिवक्ता आशुतोष आनंद और जितेंद्र सिंह कोविड-19 संक्रमित हो गए हैं. इसलिए मामले में उन्हें समय दिया जाए. अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए उन्हें समय दिया है.

अदालत ने निर्वाचन आयोग को भी शपथ पत्र के जरिए अपना पक्ष रखने को कहा था. जिसके बाद निर्वाचन आयोग की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया. अपने जवाब में निर्वाचन आयोग ने अदालत को यह बताया कि सांसद पर जो भी आरोप लगाए गए हैं उसकी जांच निर्वाचन आयोग ने की है और उनपर किसी भी तरह का कोई आरोप साबित नहीं हो रहा है.

सांसद निशिकांत दुबे ने 2014 में निर्वाचन के समय नॉमिनेशन में एमबीए डिग्री प्राप्त होने की घोषणा की थी. देवघर के ही विष्णु कांत झा ने उनके एमबीए डिग्री को फर्जी बताते हुए निर्वाचन आयोग में शिकायत दायर की थी. देवघर के थाना में निशिकांत दुबे के खिलाफ एफआईआरदर्ज कराया था. सांसद ने उसी को निरस्त करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

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